HIV और TB का है चोली दामन का साथ, डॉक्टर देते हैं होशियार रहने की सलाह

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ALLAHABAD: टीबी यानी ट्यूबरकुलोसिस खतरनाक बीमारी है लेकिन इसका पूरी तरह इलाज संभव है। समय रहते लक्षणों को पहचान कर डॉक्टरी सलाह ली जाए तो टीबी का मरीज ठीक होकर सामान्य जीवन व्यतीत कर सकता है। जिले में टीबी के मरीजों की संख्या अच्छी-खासी है। इस साल भी 18 फीसदी मरीजों की वृद्धि हुई है। इलाज में लापरवाही बरतने वाले मरीजों के लिए टीबी जानलेवा हो सकती है।

कहीं भी हो सकती है टीबी

बैक्टीरिया से होने वाली टीबी संक्रमण से फैलती है। यह एक इंसान से दूसरे इंसान तक हवा के जरिए फैलती है। यह सबसे कॉमन फेफड़ों में होती है, इसके अलावा ब्रेन, यूटरस, मुंह, लिवर, किडनी, गला, हड्डी समेत शरीर के किसी भी हिस्से में हो सकती है। टीबी के मरीज के खांसने या छीक से निकलने वाले बैक्टीरिया किसी को भी प्रभावित कर सकते हैं। मरीज के काफी नजदीक होने से भी इंफेक्शन के चांसेज बने रहते हैं।

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एचआईवी वाले मरीजों को अधिक खतरा

एचआईवी के पचास फीसदी मरीजों में टीबी होने की अधिक संभावना होती है। इसके अलावा अच्छा खान-पान न करने वालों को टीबी ज्यादा होती है क्योंकि कमजोर इम्यूनिटी से उनका शरीर बैक्टीरिया का वार नहीं झेल पाता। जब कम जगह में ज्यादा लोग रहते हैं तब इंफेक्शन तेजी से फैलता है। अंधेरी और सीलन भरी जगहों पर भी टीबी ज्यादा होती है क्योंकि टीबी का बैक्टीरिया अंधेरे में पनपता है। इसके अलावा डायबिटीज और स्टेरायड लेने वालों को भी टीबी होने की संभावना रहती है।

इलाहाबाद की स्थिति

जिले में 250 डॉट्स सेंटर हैं, जहां टीबी का फ्री इलाज किया जाता है

प्रत्येक एक लाख पॉपुलेशन पर टीयू सेंटर खोले गए हैं, यहां टीबी की नि:शुल्क जांच की जाती है

पिछले एक साल में 18 फीसदी मरीजों की संख्या बढ़ी है

प्राइवेट डॉक्टर्स ने अब विभागों को रिपोर्टिग करनी शुरू कर दी है, जिसकी वजह से मरीजों की संख्या बढ़ गई है

सबसे चिंताजनक एक्सडीआर मरीजों की संख्या बढ़ना है

यह 38 फीसदी बढ़े हैं। जबकि एमडीआर में 18 फीसदी मरीज ही बढ़े हैं

एमडीआर (मल्टी ड्रग रजिस्टेंसस) और एक्सडीआर (एक्सटेंसिविली ड्रग रजिस्टेंसस) वह मरीज होते हैं जिनके शरीर में टीबी की दवाओं से प्रतिरोधक क्षमता उत्पन्न हो जाती है और मरीज का लंबा इलाज करना पड़ता है। एक्सडीआर स्टेज जानलेवा भी साबित हो सकती है।

फैक्ट फाइल

वर्ष टीबी के मरीज एमडीआर मरीज एक्सडीआर मरीज

2015 5364 154 24

2016 6288 184 39

लक्षण

2 हफ्ते से ज्यादा लगातार खांसी, खांसी के साथ बलगम आना।

बलगम के साथ खून का आना या भूख कम लगना।

लगातार वजन का कम होना। शाम या रात में बुखार आ जाना।

सर्दी में पसीना आना या सांस उखड़ना या सांस लेते हुए सीने में दर्द होना।

कैसे करें बचाव

न्यूट्रिशन से भरपूर खासकर प्रोटीन डाइट (सोयाबीन, दालें, मछली, अंडा, पनीर आदि) लेनी चाहिए।

ज्यादा भीड़-भाड़ वाली जगहों पर जाने से बचें।

मरीज स्पि्लट एसी से परहेज करे क्योंकि तब बैक्टीरिया अंदर ही घूमता रहेगा और दूसरों को बीमार करेगा।

मरीज को मास्क पहनकर रखना चाहिए, मास्क नहीं है तो हर बार खांसने या छींकने से पहले मुंह को नैपकिन से कवर कर लेना चाहिए।

मरीज से एक मीटर की दूरी पर रहें। नैपकिन को कवर बॉक्स में डालें।

टीबी पूरी तरह से ठीक हो सकती है। मरीजों को नि:शुल्क इलाज मुहैया कराया जा रहा है। एक्सडीआर मरीजों की संख्या बढ़ना चिंताजनक है और इसके लिए विभाग को फॉलोअप करने के निर्देश दिए गए हैं। मरीजों से अपील है कि एमडीआर या एक्सडीआर से बचने के लिए इलाज को पूरी तरह करें।

-डॉ। ऋषि सहाय,

जिला क्षय रोग अधिकारी