-कार्रवाई के बजाय खुद का दामन ही बचाने रहे आला अफसर

-नानकारी में रहने वाली है पीडि़त महिला, बदनामी के डर से गलत पहचान बताई थी

KANPUR :

सेंट्रल स्टेशन में महिला से हैवानियत में अब जीआरपी कठघरे में आ गई है। पुलिस से टकराए जाने के बाद महिला जीआरपी पहुंची थी, लेकिन जीआरपी ने भी बला टालने की नियत से उसकी रिपोर्ट दर्ज नहीं की। जीआरपी ने कई घंटों के इंतजार के बाद उसे हास्पिटल में एडमिट तो करा दिया था, लेकिन जीआरपी ने उसकी रिपोर्ट नहीं दर्ज की। उसकी रिपोर्ट कहां दर्ज होगी। इसे लेकर सिविल पुलिस और जीआरपी के अफसरों ने घंटों बहस भी हुई, लेकिन जीआरपी रिपोर्ट दर्ज कराने को तैयार नहीं हुआ। जिसके चलते सिविल पुलिस ने ही रिपोर्ट दर्ज कर पड़ताल शुरु कर दी। जिसकी शुरुआत जांच में यह पता चला है कि महिला इलाहाबाद की नहीं, बल्कि शहर के नानकारी इलाके में रहने वाली है।

खुद का दामन बचाने में जुटे रहे आला अफसर

महिला से हैवानियत में सिविल पुलिस से ज्यादा जीआरपी ने संवेदनहीनता दिखाई थी, लेकिन वो बड़ी से बच गए। शनिवार को उनका संवेदनहीन चेहरा सामने आया तो वे जवाब देने से बचने लगे। आनन फानन में आला अफसर अपने दाग छुपाने के लिए पीडि़ता का हालचाल लेने हैलट पहुंच गए। उन्होंने काफी कोशिश भी की, लेकिन जब आई नेक्स्ट ने उनसे सवाल किए तो उन्होंने कुछ बोलने से मना कर दिया। अब आपको जीआरपी की संवेदनहीनता के बारे मे बताते है। इस केस में पुलिस ने अपने सिर से बला टालने के लिए महिला को जीआरपी भेज दिया था, लेकिन जीआरपी ने भी उसकी रिपोर्ट दर्ज नहीं की। वे घंटों पीडि़ता को थाने के बाहर बैठाए रहे। उनको भी पीडि़ता को हास्पिटल ले जाने की सुध नहीं आई थी। बल्कि इस दौरान वे मामले को कैसे दोबारा सिविल पुलिस के भेज सके। इस पर जुगत भिड़ा रहे थे।

बदनामी के डर से गलत पहचान बताई

हैवानियत की शिकार महिला ने शुक्रवार को खुद को इलाहाबाद निवासी बताया थी, लेकिन जब शनिवार को पुलिस ने उससे पूछताछ की तो उसने बताया कि वो कल्याणपुर के नानकारी इलाके में रहने वाली है। उसने बदनामी के डर से गलत पहचान बताई थी। इधर, डॉक्टर ने चेकअप कर उसे खतरे से बाहर बताया है। डॉक्टर का कहना है कि उसकी कार्निया को कोई नुकसान नहीं हुआ है।

जीआरपी पर कब कार्रवाई होगी

एसएसपी शलभ माथुर ने तो सिविल पुलिस की गलती को देखते हुए दो सिपाहियों को सस्पेंड कर दिया, लेकिन जीआरपी के किसी भी जवान पर कार्रवाई नहीं हुई। जबकि उनके आला अफसर आईजी यहां पर मौजूद थे। आईजी ने कार्रवाई के नाम पर सिर्फ मामले को ठंडा करने के लिए प्रेस कांफ्रेंस बुलाई। सवाल है कि जीआरपी पर कार्रवाई क्यों की गई।