VARANASI
जीएसटी का असर इस बार ठंड से बचाव करने वाली राहत सामग्रियों पर भी दिखने लगा है। कंबल, रजाई के साथ ही ब्लोवर, हीटर के दाम अब पसीना छुड़ाने लगे हैं। जीएसटी के कारण इन राहत सामग्रियों के ऑर्डर में कमी आ गई है। मार्केट में जीएसटी का असर साफ दिख रहा है। जीएसटी लागू होने के बाद पहली बार वस्त्र पर पांच प्रतिशत टैक्स लगा है। इस कारण ठंड में भी लोगों को अब गर्मी का एहसास समझ में आने लगा है। पहले जहां अक्टूबर में ही रजाई के लिए ऑर्डर मिलते थे। वहीं अब यह ऑर्डर नवंबर में भी नहीं मिल रहे। जीएसटी से पूर्व रजाई जहां 800 से एक क्000 रुपये में मिल जाते थे अब वहीं क्ख्00 से क्ब्00 में बिक रहे हैं। ब्रांडेड कंपनी के ब्लोवर, हीटर जो तीन से साढ़े तीन हजार में अवेलेबल हो जाते थे वहीं अब चार हजार के पार बिक रहे हैं।
मजदूरी में 10 परसेंट की वृद्धि
लास्ट ईयर की तुलना में इस बार रजाई-गद्दा, रुई धुनाई, ढुलाई व मजदूरी में तकरीबन दस परसेंट की वृद्धि हुई है। बाजारों में परंपरागत के साथ ही डिजाइनर रजाइयों की रेंज उपलब्ध है। जबकि जयपुरी रजाई का क्रेज इस दौर में भी बरकरार है। हल्के होने के कारण इसके प्रति लोगों का आकर्षण ज्यादा है। कई सुविधाओं को ध्यान में रखते हुए रेडीमेड रजाई व एक्रोलिक कंबल की भी लोकप्रियता बढ़ी है। यहां लोकल स्तर पर जयपुरी रजाई बनाई जाती है जो सस्ती है।
बातचीत
सिंगल और डबल रजाई की बनवाई का रेट अब बढ़ गया है। कपड़े पर पांच परसेंट टैक्स ने कारोबार की गति धीमी कर दी है। पहले कपड़े पर टैक्स नहीं था। इसके अलावा काटन (रुई) को पांच परसेंट स्लैब में रखा गया है। विजय कुमार गुप्ता, रजाई कारोबारी कोदई चौकी
पहले सिंगल रजाई आठ सौ और डबल एक हजार रुपये में मिल जाती थीं, लेकिन अब जीएसटी लागू होने के बाद चौदह सौ पार रजाई-गद्दा बिकने लगे हैं। माल ढुलाई भी बढ़ गई है। एक रजाई बनाने में पहले कारीगर 70 रुपये लेते थे लेकिन अब क्00-क्क्0 रुपये ले रह हैं।
शोहराब अहमद, रजाई कारोबारी
काशी विद्यापीठ रोड
लास्ट ईयर की तुलना में इस साल ब्लोवर, रूम हीटर के रेट कुछ बढ़े हैं, ब्लोवर, हीटर की इंक्वायरी आनी शुरू हो गई है। मगर, तब भी खरीदार इंट्रेस्ट नहीं दिखा रहे हैं।
विनोद सेठ, मैनेजर
टॉप इन टाउन
पहले
सिंगल रजाई 800
डबल रजाई 1,000
अब
सिंगल रजाई 1,200
डबल रजाई 1,200
सिंगल रजाई में पांच केजी रूई
डबल रजाई में आठ केजी रूई
रूई धुनाई
पहले 70 रुपये
अब 110 रुपये