-शहर के मार्केट में नहीं दिख रहा होली का उत्साह

-रंगों पर 18 परसेंट जीएसटी ने बिजनेस पर डाला असर

-30 से 40 परसेंट रंगों का कारोबार हुआ प्रभावित

जीएसटी लागू होने के बाद पहली बार पड़ रही होली का रंग चटख नहीं दिख रहा। एक सप्ताह बाद पड़ने वाले इस त्योहार को लेकर बहुत उमंग नहीं देखने को मिल रहा है। कारण, वैट की तुलना में जीएसटी में टैक्स की मार ज्यादा होने से रंग कारोबारियों को कारोबार करने में काफी परेशानी झेलनी पड़ रही है। जीएसटी के कारण बिना बिल वाले कारोबार पर ज्यादा असर पड़ा है, सीमित अवधि के इस बिजनेस में खरीदारी 30 से 40 परसेंट कम हो गई है। बनारस शहर में होली के रंगों का बड़ा कारोबार होता है मगर, इस साल कारोबार का ग्राफ घट गया है। डेढ़ सौ से अधिक कारोबारी गुलाल, रंग, पिचकारी आदि का थोक कारोबार करते हैं। इनका मानना है कि जीएसटी लगने से व्यापार प्रभावित हुआ है।

ऑर्डर भी बहुत कम

होली से एक माह पूर्व ही पूर्वाचल सहित आसपास के जिलों के कारोबारी बनारस से अबीर, गुलाल सहित रंगों की खरीदारी करना शुरू कर देते थे। मगर, इस साल तो बाजार में सन्नाटा ही देखने को मिल रहा है। वहीं अधिकतर कारोबारियों का मानना है कि रंग और अबीर-गुलाल दिल्ली, मथुरा आदि जगहों से भी अब मंगाए जाते हैं।

ट्रांसपोर्टर नहीं कर रहे ढुलाई

होली के सामान पर पांच परसेंट वैट था। मगर अब 18 परसेंट जीएसटी लग रहा है। सामान 10 से 15 प्रतिशत महंगा होने से कारोबारी ज्यादा माल खरीदने से परहेज कर रहे हैं। वहीं अन्य राज्यों से आने वाले माल की ट्रांसपोर्टर बुकिंग करने से परहेज कर रहे हैं। कारण कि छोटे कारोबारियों के पास जीएसटी नंबर नहीं होता। इसलिए माल पकड़े जाने के डर से माल की ढुलाई ट्रांसपोर्टर कर ही नहीं रहे। इस कारण इस बार 40 परसेंट कम ऑर्डर आया है।

कुंद पड़ गई हैं फैक्ट्रियां

रामनगर औद्योगिक एरिया में भी होली के लिए फैक्ट्रियों में अबीर, गुलाल तैयार किया जाता है। करीब दो माह पहले से ही इसकी तैयारी शुरू हो जाती है। लेकिन इस बार जीएसटी के कारण बाजार में होली के रंगों के बिजनेस में 30 परसेंट की गिरावट देखने को मिल रही है। इससे इन फैक्ट्रियों में उतना माल तैयार नहीं हो रहा है जितना माल पहले तैयार होता था। एक अनुमान के मुताबिक जहां एक कट्टा रंग 200 रुपए का आता था। वह अब 236 रुपए का आ रहा है।

बेसब्री से इंतजार किए जाने वाले होली पर पिछले 40 साल से गुलाल और रंग पर कोई टैक्स नहीं लगता था। इस बार यह जीएसटी के दायरे में आ गए और लगभग 18 परसेंट टैक्स लग गया। टैक्स लगने से इसके उत्पादन के साथ ही बिक्री पर भी असर पड़ रहा है।

अजीत सिंह बग्गा, अध्यक्ष वाराणसी व्यापार मंडल

जीएसटी का असर तो मार्केट पर पड़ा ही है। होली की जो रौनक देखी जाती थी अब वह नहीं देखने को मिल रही। होली आने में एक हफ्ता बाकी है लेकिन मार्केट में वह उमंग, हलचल नहीं दिख रही। कोयला बाजार, गोला दीनानाथ एरिया में सन्नाटा है।

प्रतीक गुप्ता, अध्यक्ष

महानगर युवा उद्योग व्यापार मंडल

जीएसटी का असर तो बहुत गहरा है। पहले जहां फैक्ट्री लगातार 24 घंटे चलती थी, अधिक से अधिक माल निकालने पर जोर हुआ करता था। लेकिन इस साल तो एकदम मंदा हो गया है। मजदूर भी पलायन कर रहे हैं।

चंद्रेश्वर जायसवाल, सचिव

रामनगर इंडस्ट्रीयल एसोसिएशन