-ट्रांसपोर्ट बिजनेस को रोजाना दो करोड़ का हो रहा नुकसान

-जीएसटी के बाद सावन में रूट डायवर्जन से भी बिजनेस पड़ा मंदा

-प्रमुख मंडियों में गाडि़यां नहीं पहुंचने से स्टॉक हो रहा कम

VARANASI

एक तरफ जीएसटी का झंझट तो दूसरी तरफ सावन ने ट्रांसपोर्टस को उलझन में डाल दिया है। पिछले ख्ख् दिनों से माल की बुकिंग, लोडिंग, अनलोडिंग लगभग ठप है। थोड़ा बहुत काम जो मिल भी रहा था वह कांवारियों के आवागमन की वजह से हुए रूट डायवर्जन से समय पर पूरा नहीं हो पा रहा है। ट्रक ड्राइवर, लोडिंग लीवर पलायन कर रहे हैं। इसके चलते रोजाना शहर के ट्रांसपोर्ट बिजनेस को दो करोड़ रुपये का लॉस हो रहा है।

नहीं पहुंच रहा माल

एक जुलाई के पहले तक सिटी की अलग-अलग मंडियों में रोजाना पांच सौ ट्रक माल लेकर पहुंचे थे लेकिन जीएसटी लागू होने के बाद उनका आवागमन नहीं के बराबर है। मंडियों में माल नहीं पहुंचने से स्टॉक की कमी बनी हुई है।

ट्रांसपोर्टर्स की घबराहट इसलिए भी है कि उन्हें रोजना एक ट्रक से लगभग चालीस हजार रुपये किराया के तौर पर मिलते थे। अब ये रुपये नहीं मिल रहे हैं जबकि ऑफिस, कर्मचारियों और गाडि़यों के मेंटनेंस पर होने वाला खर्च जेब से देना पड़ रहा है। छोटे-बड़े मिलाकर शहर में लगभग साढ़े चार सौ से अधिक ट्रांसपोर्टर है। यूपी सहित बिहार, झारखंड, एमपी, बंगाल, मुंबई, असम, राजस्थान आदि प्रदेशों से ट्रकों का आवागमन होता था।

एक नजर

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ट्रक रोजाना पहुंचते थे बनारस

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ट्रक रोजाना सब्जी व फल मंडियों में पहुंचता थे।

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ट्रक रोजाना माल पहुंचता था विशेश्वरगंज मंडी मे।

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ट्रक माल रोजाना पहुंचता था कपड़ा मंडी में।

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ट्रक माल रोजाना पहुंचता था लोहा व बिल्िडग मैटेरियल्स मंडी में

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से अधिक हैं शहर में छोटे-बड़े ट्रांसपोर्टर

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करोड़ का हो रहा है रोजाना लॉस

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मजदूर काम के बिना कर चुके हैं पलायन

जीएसटी में टैक्स परसेंट की वजह से जहां कारोबार टूट ही रहा था। वहीं रूट डायवर्जन ने ट्रांसपोर्टर को और भी पेशोपेश में डाल दिया है। काम लगभग ठप ही है, यही स्थिति रही तो अब ट्रांसपोर्टर्स भी टूट जाएंगे।

जेपी तिवारी, अध्यक्ष

वाराणसी ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन