ALLAHABAD: गवर्नमेंट ने गुड्स एवं सर्विसेज टैक्स (जीएसटी) को व्यापारियों के लिए मुफीद और आसान बताया था। लेकिन फिलहाल ये व्यापारियों के गले की फांस बन गया है। सरकार आदेश पर आदेश दे रही है, लेकिन प्रॉब्लम दूर करने के लिए कोई उपाय नहीं कर रही है।

 

दे रहे 18 परसेंट इंट्रेस्ट

जीएसटी लागू होने से पहले गवर्नमेंट ने ये क्लीयर किया था कि व्यापारियों को हर महीने केवल तीन रिटर्न यानी जीएसटीआर-1, जीएसटीआर-2 और जीएसटीआर-3 भरना पड़ेगा। लेकिन जब जुलाई का रिटर्न भरने का समय आया तो जीएसटीआर-3 बी का नियम व्यापारियों पर थोप दिया गया। समय सीमा समाप्त होने के बाद भी हजारों व्यापारी जीएसटीआर-3 बी नहीं भर पाए हैं। जानकारी न होने के कारण 18 परसेंट इंट्रेस्ट भी भर रहे हैं।

 

जुलाई के लिए था कंपलसरी

जीएसटीआर-3 बी पहले केवल जुलाई के रिटर्न के लिए कंपलसरी किया गया था। अब इसे दिसंबर तक के रिटर्न के लिए कंपलसरी कर दिया गया है। यानी दिसंबर तक का रिटर्न भरने से पहले व्यापारियों को जीएसटीआर-3 बी भरना पड़ेगा। इसके बाद जीएसटीआर-1, 2 और थ्री का प्रॉसेस करना होगा।

 

थोपा एक और नियम

गवर्नमेंट ने दलहन एवं तिलहन व्यापारियों को राहत देते हुए अन ब्रांडेड दाल, चावल, आटा आदि को 0 परसेंट टैक्स दायरे में किया था। ब्रांडेड को 5 परसेंट टैक्स के दायरे में रखा था। लेकिन कुछ दिनों पहले सरकार ने नया आदेश जारी किया, जिसमें कहा गया कि 17 मई 2017 के बाद जिन व्यापारियों ने ब्रांड कैंसिल कराया होगा, उन्हें पांच परसेंट टैक्स देना होगा।

 

जीएसटीआर-वन भरने क्या दिक्कतें

जीएसटीआर-1 भरने के लिए गवर्नमेंट ने यूक्यूसी कोड अनिवार्य किया है, लेकिन व्यापारियों को यूक्यूसी कोड के बारे में जानकारी ही नहीं है।

मल्टी टैक्स सिस्टम को जीएसटी पोर्टल सपोर्ट नहीं कर पा रहा है।

जीएसटीएन पोर्टल पर ऑफलाइन टूल जो दिया गया है, उसके फार्मेट को सपोर्ट नहीं कर रहा है।

टैक्स इनवाइस अपलोड करने के 24 घंटे बाद भी रिपोर्ट प्रॉसेस ही बता रहा है।

ओटीपी मंगाने में आठ से दस घंटे का समय लग जा रहा है।

 

सरकार अपने ही जाल में फंस गई है। जीएसटी को लेकर जो व्यवस्था की गई है, वह नाकाफी है। टेक्निकल प्रॉब्लम लगातार बढ़ती जा रही है। यही स्थिति रही तो व्यापारियों को काफी दिक्कत हो जाएगी।

महेंद्र गोयल

प्रदेश अध्यक्ष, कैट

 

गल्ला एवं तिलहन व्यापारियों के लिए दिया गया सरकार का आदेश अव्यवहारिक है। कई ऐसे व्यापारी हैं, जिन्होंने 17 मई 2017 से पहले ब्रांड कैंसिल के लिए आवेदन किया है, लेकिन अभी तक उनका ब्रांड कैंसिल नहीं हुआ है। ऐसे व्यापारियों को भी अब टैक्स देना होगा।

सतीश चंद्र केसरवानी

अध्यक्ष, गल्ला एवं तिलहन संघ

 

जीएसटी से जुड़ी टेक्निकल प्रॉब्लम हो या कोई अन्य प्रॉब्लम, उसका सॉल्यूशन करने का अधिकार हमारे पास नहीं है। हम व्यापारियों को बस केवल नियम और कायदे ही बता सकते हैं। टेक्निकल प्रॉब्लम दूर करना जीएसटी नेटवर्क, जीएसटी काउंसिल और गवर्नमेंट का काम है। हमें कोई अधिकार नहीं दिया गया है।

संजय कुमार श्रीवास्तव

ज्वाइंट कमिश्नर, सेल्स टैक्स