- जिस स्टूडेंट का गला दबाते विधायक की फोटो छपी, उसी ने हलफनामे देकर विधायक को पहचानने से किया इंकार

- पुलिस की सांप्रदायिक दंगा होने की थ्योरी के समर्थन में कुछ जर्नलिस्ट्स ने भी दिए हलफनामे

- पुलिस प्रशासन से अपना पक्ष रखने नहीं पहुंचा कोई, जस्टिस ने जताई नाराजगी

- पुलिस व प्रशासन को 26 अप्रैल को अपना पक्ष रखने का दिया अंतिम मौका

kanpur@inext.co.in

KANPUR: मेडिकल कॉलेज में स्टूडेंट्स और डॉक्टर्स पर बर्बर पुलिस कार्रवाई को जायज ठहराने के लिए अंदरखाने चल रही योजना से बुधवार को पर्दा उठ गया। बवाल के दौरान जिस छात्र का बेरहमी से गला दबाते विधायक की फोटो चर्चित हुई। उसी छात्र ने न्यायिक आयोग को दिए अपने हलफनामे में विधायक को पहचानने से इनकार कर दिया। इधर पुलिस की कार्रवाई को जायज ठहराने के लिए कई पत्रकारों ने भी अपनी ओर से शपथपत्र दाखिल किया। दरअसल, मामले में जिन पुलिस अफसरों पर तलवार लटकी हुई है, वो घटना वाले दिन पुलिस कार्रवाई का यह कह कर समर्थन कर रहे हैं कि अगर पुलिस मेडिकल कॉलेज में ना घुसती तो वहां सांप्रदायिक दंगा हो जाता।

एफिडेविट का सहारा

जांच आयोग ने मामले से संबंधित सभी लोगों को हलफनामे के साथ अपना पक्ष रखने के लिए बुधवार को सर्किट हाउस बुलाया था। क्ख् अप्रैल को विधायक के साथ आए क्00 से ज्यादा लोगों ने उनके पक्ष में हलफनामे दिए थे। हालांकि हलफनामा देने में भी काफी खेल हुआ था। आई नेक्स्ट ने जिसका खुलासा उसी दिन कर दिया था। बुधवार को बारी थी डॉक्टर्स की। उनकी तरफ से भी ब्8 लोगों ने हलफनामे दिए। इनमें ज्ञान पैथालॉजी के ओनर डॉक्टर अरुण भी शामिल हैं। उनका कहना है कि घटना वाले दिन विधायक की गाडि़यां उनकी पैथालॉजी के बाहर खड़ी थीं।

उन्होंने क्यों नहीं दिए हलफनामे

पुलिस कार्रवाई के दौरान कई फोटोजर्नलिस्ट पुलिस की लाठियों का शिकार बने थे। इनमें से सिर्फ एक फोटो जर्नलिस्ट वैभव शुक्ला ने पुलिस के खिलाफ हलफनामा दिया है। वहां मौजूद बाकी किसी फोटोजर्नलिस्ट ने अपना हलफनामा नहीं दिया। वहीं कई पत्रकारों ने इस मामले में पुलिस के पक्ष में हलफनामे दिए हैं। यह सिलसिला बुधवार को भी जारी रहा।

इन पत्रकारों ने दिए हलफनामे

हैदर नकवी, अवनीश दीक्षित, मनोज यादव, राहुल बाजपेई, सुनील कुमार गुप्ता, अमित गंजू, आदित्य द्विवेदी।

पुलिस को बचाने में फंस जाएंगे विधायक

अगर पुलिस साम्प्रदायिक दंगे की संभावना पर कार्रवाई वाली थ्यौरी को सही साबित कर ले जाते है तो विधायक इरफान सोलंकी सवालों के घेरे में आ जाएंगे। क्योंकि सांप्रदायिक दंगा तो दो पक्षों में होता हैं। अगर एक पक्ष डॉक्टर्स हैं तो दूसरा पक्ष विधायक और उनके समर्थक ही बनेंगे।

विधायक के खिलाफ क्या बोलूं।

विधायक इरफान सोंलकी के जिस मेडिकल स्टूडेंट का बेरहमी से गला दबाने की फोटो हर समाचार पत्र में छपी थी। उसी स्टूडेंट ने अपने हलफनामे में विधायक को नहीं पहचाना। बुधवार को राजनिधि नाम का यह मेडिकल स्टूडेंट अपने पिता के साथ जस्टिस के सामने पहुंचा और अपना हलफनामा दिया। उसका हलफनामा पढ़ कर एक बार तो विशेष सचिव न्याय अमरजीत त्रिपाठी पर चौंक गए। हलफनामा देने के बाद जब बाहर राजनिधि और उनके पिता से बात करने की कोशिश की गई तो वह कुछ नहीं बोले। काफी कुरेदने पर पिता ने बस इतना ही कहा कि विधायक के खिलाफ क्या बोलूं और चले गए। दरअसल घटना के बाद से ही यह राजनिधि पूरे परिदृश्य से गायब था।

मेडिकल कॉलेज पहुंचे जस्िटस चौहान

जस्टिस चौहान और उनकी टीम ने बुधवार को मेडिकल कॉलेज पहुंच कर उन सभी स्पॉट्स का इंस्पेक्शन किया जहां पर पूरा बवाल हुआ था। इससे पहले मेडिकल स्टूडेंट्स ने मानव श्रृंखला बना कर न्यायिक जांच का समर्थन किया। जस्टिस चौहान दोपहर क्क्.फ्0 बजे मेडिकल कॉलेज पहुंचे लेकिन अंदर न जाकर पहले वह रायल सर्जिकल स्टोर गए और उसके मालिक से घटना के संबंध में पूछताछ की। इसी दौरान विधायक इरफान सोलंकी भी पहुंचे और अपना पक्ष रखा। जस्टिस चौहान मेडिकल कॉलेज में एसबीआई एटीएम के पास पहुंचे और फिर बीएस-फ् हॉस्टल जाकर मौका मुआयना किया। इसके बाद वह पेट्रोल पंप गए जहां के मैनेजर अशोक से भी पूछताछ की ।

पुलिस प्रशासन को लगाई फटकार

न्यायिक जांच आयोग की ओर से पुलिस और प्रशासन को पूर्व सूचना के बाद भी घटना वाले दिन पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों में कोई नहीं पहुंचा। जस्टिस चौहान और विशेष सचिव न्याय अमरजीत त्रिपाठी ने इस पर गहरी नाराजगी जताई। पुलिस और प्रशासन के इंतजार में जस्टिस शाम भ् बजे तक सर्किट हाउस में बैठे रहे। जस्टिस ने सीओ स्वरूप नगर और एसीएम दयानंद व एसीएम आरपी त्रिपाठी को कड़ी फटकार लगाई। शाम पांच बजे उन्हें लिखित सूचना दी गई कि चुनाव की तैयारियों में व्यस्त होने की वजह से वह नहीं आ सके और हलफनामा देने के लिए क्0 दिन का समय मांगा। इस पर डॉक्टर्स के वकील ने विरोध किया। चलते चलते बवाल के दौरान स्वरूप नगर थाने में तैनात रहे दरोगा भी पहुंच गए।

ख्म् अप्रैल को आखिरी मौका

दिन भर पुलिस और प्रशासन के रवैये से नाराजगी के बाद जस्टिस चौहान ने दोनों को अपना पक्ष रखने के लिए ख्म् अप्रैल की तारीख निर्धारित की। साथ में यह भी आदेश दिया कि अगर इस दिन तक दोनों पक्षों की तरफ से कोई हलफनामा या फिर दस्तावेजी सबूत नहीं देता तो उसके बाद उनका पक्ष नहीं सुना जाएगा। साथ ही प्रशासन और पुलिस की ओर से कोई सहयोग नहीं मिलने की रिपोर्ट भी हाईकोर्ट को दी जाएगी।

कोट-

पुलिस की रिपोर्ट में जो भी घटनास्थल बताए गए हैं वहां का निरीक्षण किया गया। इस दौरान विधायक और मेडिकल स्टूडेंट व डॉक्टर्स भी मौजूद रहे। कई पत्रकारों ने भी अपने हलफनामे दिए हैं। प्रशासन और पुलिस की ओर से अपना पक्ष रखने शाम तक कोई नहंीं आया। इसलिए उनका पक्ष ख्म् अप्रैल को सुना जाएगा। इसी दौरान जिरह होगी और सभी पक्षों के बयान लिखे जाएंगे।

जस्टिस राज मणि चौहान, चेयरमैन, न्यायिक जांच आयोग