ऐसी है जानकारी

बताया गया है संजय दत्त ने यरवदा सेंट्रल जेल में अर्द्ध कुशल कामगार के तौर पर काम किया और पेपर बैग्स बनाकर कमाई की। इस काम को करते हुए उन्होंने यहां करीब 38,000 रुपये कमाए, लेकिन घर ले जाने को उनको सिर्फ 440 रुपये मिले। ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि बाकी बचे पैसों को जेल के अंदर उन्होंने दैनिक कार्यों पर इस्तेमाल किया। यहां दत्त को प्रतिदिन 50 रुपये के हिसाब से काम करने के बदले पैसे दिए जाते थे।

ऐसे किया लोगों के तनाव को दूर

इस पूरी तन्ख्वाह को उनके पेरोल को ध्यान में रख्ाते हुए 256 दिन के हिसाब से जोड़ा गया। जेल के अंदर कई तरह के काम करने के दौरान संजय दत्त ने बतौर रेडियो जॉकी भी सबका मनोरंजन किया। यहां इनका कैदी नंबर 16656 था। अन्य कैदियों को इनका रेडियो जॉकी वाला अवतार काफी पसंद आया। कैदी से रेडियो जॉकी बने संजय दत्त से यहां उनके फेमस डायलॉग बोलने की गुजारिश की जाती थी। इस तरह से जेल के अंदर वो लोगों का तनाव दूर करते थे।

बतौर आरजे किया काम

उनके इस काम को लेकर बताया गया कि तीन कैदियों के साथ मिलकर संजय यहां बतौर आरजे काम करते रहे। इसके साथ ही पेपर बैग भी बनाया। हालांकि संजय दत्त को सुप्रीम कोर्ट की ओर से पांच साल की सजा सुनाई गई थी। इसके बावजूद उनके अच्छे व्यवहार को देखते हुए चार साल, तीन महीने और 14 दिन में ही इनकी सजा को पूरा कर दिया गया।

एक नजर पीछे भी

इस तरह से संजय दत्त ने जेल में कुल चार साल बिताए। इनको 19 अप्रैल 1993 में गिरफ्तार किया गया था। 12 मार्च 1993 के मुंबई बम धमाकों में जब उनका नाम सामने आया था, तो दुनिया अचानक से सन्न रह गई थी। संजय आरोपों के घेरे में थे, लेकिन वो दोषी ठहराए गए अवैध हथियार रखने के केस में। मार्च 2013 में सुप्रीम कोर्ट ने संजय दत्त को पांच साल की सजा सुनाई।

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