किरायेदार तो निकला असलहा तस्कर

शाहपुर एरिया के जंगल मातादीन के हकीमपुर नंबर दो निवासी रामजतन के मकान में किरायेदार बनकर सहजनवां के कैली का विजय कुमार रहता था। उसने टेंपो ड्राइवर बनकर किराये पर कमरा लिया था। टेंपो से ही वह असलहों की तस्करी करता था। एसटीएफ गोरखपुर की यूनिट ने उसके पास से चार पिस्टल और आठ मैगजीन बरामद की थी। जांच में सामने आया है कि इसका जुड़ाव मुंबई के माफिया राजा शेट्टी से है। इसके पहले भी पुलिस ऐसे लोगों को पकड़ चुकी है जो सिटी में किरायेदार बनकर रहते थे और कोई न कोई क्राइम करते थे। तीन साल पहले कैंट एरिया के मोहद्दीपुर में फर्जीं आईजी के पकडऩे जाने पर पुलिस सकते में आ गई थी। दो साल पहले कैंट एरिया के रानीबाग, बडग़ों में रहने वाले युवकों का गैंग लूट करता था। एक युवक के पकड़े जाने के बाद यह राज खुल सका था। किरायेदारों के पकड़े जाने पर पुलिस ने वेरीफिकेशन का अभियान शुरू कराया लेकिन हर बार यह योजना कागजों में ही सिमट कर रह गई।

बदलते रहे एसएसपी, जस की तस रही प्रॉसेस

सिटी में कई ऐसे लोग हैं जिन्होंने किराये पर मकान दे रखा है। कहीं-कहीं तो एक हिस्से में मकान मालिक रहते हैं, दूसरे हिस्से में किरायेदार बसते हैं। एडवांस और ज्यादा किराये की लालच में लोग बिना किरायेदारों की पूरी जानकारी जुटाए मकान दे देते हैं। मर्डर, लूट, चोरी, छिनैती जैसे मामलों में पकड़े गए बदमाशों ने पुलिस को बताया है कि उन लोगों ने ज्यादा किराया देकर मकान ले लिया। मकान मालिक को सिर्फ किराये से मतलब रहता था। 2010 में डीआईजी असीम अरुण ने जोरशोर से किरायेदारों का वेरीफिकेशन शुरू कराया, लेकिन उनके तबादले के बाद अभियान ठप पड़ गया। 2012 में एसएसपी की बहाली होने पर एसएसपी आशुतोष कुमार ने किरायेदारों का सत्यापन शुरू कराया, लेकिन योजना धरी रह गई। इसके बाद एसएसपी बदलते गए लेकिन किरायेदारोंं का सत्यापन पूरा नहीं हो सका।

किरायेदारों का वेरीफिकेशन कराया जा रहा है। कुछ व्यस्तता की वजह से पुलिस उनका वेरीफिकेशन पूरा नहीं करा सकी है। मकान मालिकों को हिदायत दी गई है वे खुद ही नजदीकी थानों, चौकियों से फॉर्म लेकर जमा करा दें।

परेश पांडेय, एसपी सिटी