गुजरात में पास हुआ गुजकोक

गुजरात में आतंकी गतिविधियों पर बेहतर तरीके से लगाम लगाने के लिए बीजेपी सरकार ने गुजरात विधानसभा में एंटी-टेरेरिज्म बिल 'गुजकोक' पास करा लिया है. सूत्रों के अनुसार बिल के विरोध में खड़ी कांग्रेस सदन में मतदान प्रक्रिया के दौरान अनुपस्थित रही. वहीं सदन में बिल पास होने के बाद राज्य सरकार को उम्मीद है कि इस बिल पर राष्ट्रपति की मुहर भी लग जाएगी क्योंकि केंद्र में बीजेपी की सरकार है. राज्य विधानसभा में इस बिल को पिछले 12 सालों में तीन बार पारित किया जा चुका है. इस बिल को अंतिम बार 2009 में पारित किया गया था तब केंद्र सरकार ने इसे राष्ट्रपति को भेजने से इंकार कर दिया था.

क्यों हो रहा बिल का विरोध

गुजरात के आंतकवाद विरोधी बिल में कुछ प्रावधान ऐसे हैं जिनका विपक्ष द्वारा विरोध किया जा रहा है. मसलन पुलिस द्वारा किसी आरोपी को 30 दिनों तक हिरासत में रख सकती है. फिलहाल में यह समय-सीमा 15 दिनों की है. वहीं अगर पब्लिक प्रॉसीक्यूटर के सिफारिश करने पर पुलिस आरोपी के खिलाफ चार्जशीट जारी करने में 120 दिनों का समय भी ले सकता है. यह समय सीमा भी वर्तमान समय सीमा से डबल है. इसलिए विपक्ष इस बिल का पुरजोर विरोध कर रही है. विपक्ष के नेता शंकर सिंह वाघेला ने कहा, 'मुझे पता है कि बिल विधानसभा से पास हो जाएगा लेकिन हम इसके विरोध में हैं. अगर यह सरकार गुजरात की सुरक्षा को लेकर इतनी चंतित थी तो वाजपेयी के सात साल शासन में रहने के दौरान इसे क्यों नहीं लाया गया.' गौरतलब है कि वाजपेयी सरकार ने बिल में संशोधनों की आवश्यकता जताई थी.

गुजरात की सरकार ने बताया जरूरी

गुजरात के गृह राज्यमंत्री रजनीकांत पटेल ने बिल को सपोर्ट करते हुए कहा, 'पिछले कुछ वर्षों में संगठित अपराध हमारे समाज के लिए बड़े खतरे के रूप में सामने आया है. आर्थिक उन्नति के साथ गुजरात को आतंकवाद और आर्थिक अपराधियों के हमलों का सामना करना पड़ सकता है. इसे देखते हुए तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने बिल को पेश किया था, लेकिन पूर्व की यूपीए सरकार ने इसे खारिज कर दिया. अब मुख्यमंत्री आनंदी बेन पटेल इसे वापस लाना चाहती हैं.'

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