-डॉ निगम होम्योपैथिक हॉस्पिटल और आई नेक्स्ट की ओर से सैटरडे को ऑर्गनाइज हुआ प्रोग्राम, आर्ट एक्जीबिशन भी लगाई गई

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KANPUR: जिंदगी में एच पॉजिटिव होना बहुत जरूरी है। एच पॉजिटिव के पांच फैक्टर्स हैं, ह्यूमन, हेल्थ, हैप्पीनेस, हेल्प और होप।

रागेंद्र स्वरुप ऑडिटोरियम में सैटरडे को जिंदगी में खुशहाली के फलसफे पर चर्चा हुई। डॉ। हर्ष निगम के एच पॉजिटिव कॉन्सेप्ट पर खचाखच भरे ऑडिटोरियम में गहराई से विचार विमर्श हुआ। आईनेक्स्ट इस कार्यक्रम का मीडिया पार्टनर था। डॉ हर्ष निगम और आईनेक्स्ट के सीनियर न्यूज एडिटर उमंग मिश्र कार्यक्रम के स्पीकर थे।

कार्यक्रम की शुरुआत मां सरस्वती की आराधना से हुई। लक्ष्मी देवी ललित कला अकादमी की स्टूडेंट ने वीणावादिनी वर दे पर कत्थक नृत्य प्रस्तुत किया।

इसके बाद डॉ। हर्ष निगम ने बताया कि कैसे हम पाजिटिविटी के सोर्स बनकर समाज में खुशियों के प्रसार में मदद कर सकते हैं। इस अवसर पर एक आर्ट एग्जीबिशन और आईडिऐशन क‌र्न्वशेसन का भी आयाेजन हुआ।

मूल उद्देश्य है पाॅजिटिविटी

आर्ट एग्जीबिशन के आयोजन पर डॉ। हर्ष निगम ने बताया कि एग्जीबिशन और पूरे कार्यक्रम का मूल उद्देश्य ये था कि लोग इस बारे में सोचें कि कैसे मानवीय, और लोगों के मददगार बनकर और खुद के लिए आशावान रहकर पाजिटिव माहौल बनाया जा सकता है जो दूसरों के साथ साथ खुद की खुशी के लिए भी जरूरी है। उन्होंने बताया कि तमाम सामाजिक बुराइयों की वजह से समाज में नकारात्मकता घर कर गई है। इसको नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। पॉजिटिविटी को इन्हीं नकारात्मक चीजों के बीच से निकालना होगा। बस उस नजरिए से देखने की देर है। इस मौके पर उन्होंने लोगों के सवालों के उत्तर भी दिए।

मोटीवेशन और पर्सनैलिटी डेवलपमेंट अहम

आई नेक्स्ट के सीनियर न्यूज एडिटर उमंग मिश्र ने कहा कि होप के साथ साथ लक्ष्य को हासिल करने के लिए मोटीवेशन भी बहुत जरूरी है। साथ ही गोल सेटिंग रियलिस्टिक होनी चाहिए है। मंजिल लक्ष्य हो सकती है लेकिन सफर भी खुशियां दे सकता है। सचिन तेंदुलकर का उदाहरण देते हुए उन्होंने बताया कि सचिन ने बचपन में विश्व कप जीतने का सपना देखा था लेकिन इस सपने का पीछा करते करते सपना पूरा होने से पहले ही वो गॉड ऑफ क्रिकेट बन गए। उन्होंने कहा कि जिंदगी की व्यस्तता के बीच सपनों का जिंदा रहना बहुत जरूरी है। उन्होंने ये भी कहा कि चूंकि पर्सनैलिटी चाइल्ड रियरिंग से डेवलप होती है इसलिए आने वाली पीढ़ी के बेहतर व्यक्तित्व निर्माण की जिम्मेदारी हम लोगों की है।

दिव्याकांड से जुड़ी पेंटिंग्स बनी आर्कषण

आर्ट एग्जीबिशन में महिलाओं बेटियों के अलावा बच्चों के साथ होने आने अत्याचारों से जुड़ी उनकी पेटिंग्स दिखाई लगाई गई। जिसमें फ् पेटिंग तो सिर्फ कानपुर के दिव्या रेप व हत्याकांड से जुड़ी हुई थीं। इसके अलावा उन्होंने कई इंडीपेंडेंट आर्टिस्ट्स को भी एग्जीबिशन में अपनी पेटिंग लगाने के लिए इनवाइट किया था।