-शहर के पॉश एरिया आर्य नगर में छापे के दौरान पुलिस को भारी मात्रा में नशे के लिए यूज इंजेक्शंस मिले

-पकड़े गए लड़कों ने पूछताछ के दौरान पुलिस को बताया वहां नशे के लिए रोजाना आते थे दर्जनों युवा

-आई नेक्स्ट की पड़ताल में खुलासा, शहर के कुछ पॉश इलाकों में चल रहा है नशे का बड़ा कारोबार

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KANPUR: आर्यनगर में मारपीट के एक मामले के बाद पुलिस ने वहां स्थित एक बेहद पुराने अपार्टमेंट पर छापा मारा। अपार्टमेंट की छत पर पुलिस को बड़ी मात्रा में खतरनाक नशे के लिए इस्तेमाल हुए इंजेक्शन व दवाईयों की शीशियां बरामद हुईं। छानबीन में पुलिस को यह पता चला है कि कैसे बड़े घरों के नई उम्र के लड़के यहां आकर नशे के लती हो रहे हैं। इतनी बड़ी तादाद में यूज्ड इंजेक्शन बरामद हुए हैं कि पूरे शहर में सनसनी फैल गई।

सजती है नशे की महफिल

पुलिस मामले की जांच कर रही है। पुलिस को शक है कि यहां कोकीन, चरस, ब्राउन शुगर समेत हर बड़ा नशा लेने वालों की महफिल सजती थी। अपार्टमेंट में रहने वाले लोगों के मुताबिक यहां पर रात के अंधेरे में बड़ी और लग्जरी कारों से दर्जनों लड़के आते थे। आई नेक्स्ट ने पड़ताल की तो मालूम चला कि शहर के पॉश एरियॉज में नशे का बड़ा कारोबार चल रहा है। खुफिया की मानें तो कानपुर को नशे की गिरफ्त में ढकेलने की बड़ी साजिश हो रही है।

कुली बाजार से अार्यनगर तक

शहर में नशीले पदार्थाें जैसे स्मैक, चरस, अफीम की बिक्री के लिए शहर के कई इलाके बदनाम हैं। खुद खुफिया रिपोर्ट कहती है कि अनवरगंज के कुलीबाजार से कंजड़नपुरवा, सीटीएस बस्ती, दर्शनपुरवा, कच्ची बस्ती गोविंद नगर में नशे के सामान का कारोबार सबसे ज्यादा होता है। लेकिन मैगी प्वाइंट से लेकर हुक्का बार व नशे की पार्टियों का जो कल्चर शहर में शुरू हुआ है। उससे नशे का कारोबार इन इलाकों से आगे बढ़ कर शहर के पॉश इलाकों में फैल गया है।

दिल्ली, मुंबई से आ रहा 'नशा'

नशे के लिए बदनाम एरियॉज में स्वरूप नगर, आर्यनगर, काकादेव साउथ के किदवई नगर जैसे एरियॉज भी शामिल हैं। इन इलाकों में इस कारोबार के फैलने का सीधा असर हाई सोसाइटी के यूथ पर पड़ा है। वह नशे के लती हो गए हैं। इसी का नतीजा बुधवार रात को आर्य नगर स्थित प्रभु वंदना अपार्टमेंट की छत पर मिला सामान भी है। खुफिया की रिपोर्ट के मुताबिक कानपुर में दिल्ली, मुंबई, कोलकाता से भारी मात्रा में कोकीन, ब्राउन शुगर समेत कई महंगे नशे की खेप पहुंच रही है। नार्कोटिक्स डिपार्टमेंट समेत कई एजेंसियों की नजर कानपुर पर है।

नशे ने बढ़ाया एड्स का खतरा

दरअसल, नशाखोरी की वजह से एक बड़ा खतरा जो सामने आया है वह एड्स का है। कानपुर एआरटी सेंटर के मुताबिक इस साल शहर में एड्स के 300 नए मामले सामने आए हैं। यह बीते 5 साल में सबसे ज्यादा हैं। डॉक्टर्स के मुताबिक इनमें एचआईवी का सबसे ज्यादा संक्रमण नशे के लिए यूज हुई सीरिंज की वजह से हुआ। क्योंकि एआरटी सेंटर में इलाज के लिए जो नए मरीज आए वह नशे के लती और कम उम्र के थे।

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नशा मुक्ति केंद्रों पर चुपचाप इलाज

सिटी में निजी स्तर पर नशा मुक्ति केंद्र चलाने वाले एक वरिष्ठ मनोचिकित्सक ने नाम न पब्लिश करने की रिक्वेस्ट पर बताया कि उनके यहां अब काफी ऐसे पेशेंट्स आते हैं जोकि बेहद कम उम्र में नशे के लती हो गए हैं। इनमें से कई रिच फैमिलीज के रिश्तेदार हैं। सिर्फ पैसे वाले ही नहीं बल्कि ऐसा वर्ग भी है, जिनके पास पैसे न होने पर 5 से10 रुपए में आने वाली एविल तक के इंजेक्शन लगाने से भी गुरेज नहीं करते और यह संख्या लगातार बढ़ भी रही है। कानपुर पूरी तरह नशे की गिरफ्त में आता जा रहा है।

नशे का एड्स कनेक्शन

- 6000 एचआईवी पॉजिटिव रजिस्टर्ड एआरटी सेंटर में

- 300 नए एचआईवी पॉजिटिव मिले इस साल 30 नवंबर तक

- 40 फीसदी को संक्रमित सीरिंज की वजह से हुआ एड्स

- 45 फीसदी नए एचआईवी पॉजिटिव मरीजों की औसत उम्र 35 साल

- 110 पेशेंट्स ज्यादा मिले वर्ष 2015 के मुकाबले में

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दो घंटे का नशा, जान दांव पर

- कोकीन या इंजेक्शन के जरिए किए जाने वाले दूसरे तरह के नशे का असर दो घंटे तक रहता है।

- इस दौरान सोचने समझने की शक्ति कम होती है। कुछ मिनटों पहले की बातें भूलने लगता है।

- घबराहट होने से लेकर हार्ट अटैक, एंजाईटी और बीपी लो जैसी प्रॉब्लम होती है।

- खुराक न मिलने पर सिर और चेहरे पर पसीना आना, जुबान लड़खड़ाना, छटपटाहट और गला सूखने जैसी प्रॉब्लम होती है

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नशे की गिरफ्त में आने के बाद के लक्षण

- नॉर्मल बातचीत में फेस के एक्सप्रेशंस बदलना।

- आंखों का लाल और भारी रहना, हमेशा चुप रहना।

- डर लगना, पानी से दूर भागना, हाथ कांपना।

- कोई गलती नहीं होने पर भी उसका अहसास होना।

सीनियर साइकियाट्रिस्ट डॉ। धनंजय चौधरी के मुताबिक

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'नर्सिग होम के पास हुई मारपीट के मामले में रिपोर्ट दर्ज की गई है। बाकी अपार्टमेंट की छत पर जो इंजेक्शन व दवाओं के रैपर मिले हैं। वो नशे के लिए प्रयोग किए जाते थे। यह मामला बेहद गंभीर है। कई टीमें इस मामले की जांच कर रही हैं कि वहां पर ये इंजेक्शन कौन लाता था और कौन 'नशे का गैंग' चला रहा था.'

- विशाल पांडेय, सीओ, कर्नलगंज