-कानपुर रीजन के सबसे बड़े गवर्नमेंट हॉस्पिटल हैलट में एंटी बॉयोटिक दवाएं खत्म, पट्ट, कॉटन, वीगो तक का संकट
- डेढ़ करोड़ से ऊपर की उधारी के बाद दवा सप्लाई कंपनियों ने भी खड़े किए हाथ, हजारों पेशेंट्स की मुश्किलें बढ़ेंगी
KANPUR: शहर ही नहीं बल्कि कानपुर रीजन के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल में दवाओं के बाद अब पट्टी और इंजेक्शन का भी भारी संकट आ गया है। ओपीडी से लेकर इमरजेंसी और इनडोर वार्ड्स में भर्ती हजारों मरीजों को दवाओं के अलावा कॉटन व पट्टी के लिए भी मेडिकल स्टोर जाना पड़ रहा है। संकट इसलिए भी और गहरा गया है क्योंकि उधार पर जो कंपनियां हैलट में दवाओं की आपूर्ति करती थीं। डेढ़ करोड़ की उधारी हो जाने की वजह से 11 कंपनियों ने अब दवा देने से मना कर दिया है। हैलट प्रशासन का कहना है कि शासन में कई बाद रिमाइंडर भेजे जाने के बाद भी कोई सुनवाई नहीं है। ऐसे में हैलट में रोजना पहुंचने वाले करीब 2 हजार पेशेंट्स का इलाज कैसे होगा, ये बड़ा सवाल खड़ा हाे गया है।
फीवर तक की दवा नहीं
हैलट में दवाओं के संकट का हाल ये है मामूली बुखार में दी जाने वाली दवा पैरासीटामाल तक नहीं बची है। ओपीडी में न तो टैबलेट है और न ही इमरजेंसी पेशेंट्स के लिए इंजेक्शन हैं। इसके अलावा गैस की दिक्कत में दी जाने वाली ओमेज जैसी दवा भी कई महीनों से हैलट में नहीं है। जिससे पेशेंट्स को परेशान होना पड़ रहा है।
किसी तरह चला रहे थे काम
हैलट में दवाओं की दिक्कत का यह हाल है कि कमी को पूरा करने के लिए मेडिकल कॉलेज के अधिकारी अपर इंडिया हॉस्पिटल, बालरोग अस्पताल और मुरारी लाल चेस्ट हॉस्पिटल से दवाएं मंगा रहे हैं। किसी तरह अधिकारी अब तक काम चला रहे थे लेकिन अब उन्होंने भी हाथ खड़े कर दिए हैं।
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