- वसीम की मां दहाड़ मार कर रोती रही।

- जब दम छूटा तब एक बेड भी नहीं था उसके पास

- ऑटोमोबाइल काच्अच्छा जानकार था वसीम

PATNA : पूरे बिहार से पेशेंट्स सूबे के सबसे बडे़ गवर्नमेंट हॉस्पिटल पीएमसीएच में आते हैं। लेकिन एक मां का कलेजा उस वक्त फट गया जब उसके बेटे ने उसकी आंचल में दम तोड़ दिया। उसने अपने बेटे को पूर्णिया से रात भर की यात्रा कर पटना पीएमसीएच लाया था। ख्ख् साल के वसीम को इमरजेंसी वार्ड के कमरा नंबर ख्0म् में रखा गया था वो भी जमीन पर पर। उसकी मां दहाड़ मार कर रो रही थी। वह लगातार यही कहती रही कि ''पटना तोहरा हम कभियो नय भुलबौलूट लेलकै पटनावांअरे जालिम पटनवा हमरा बेटा के काहे छिन लिहले''

रोड एक्सिडेंट में घायल हुआ था वसीम

पीएमसीएच के इमरजेंसी वार्ड में वसीम का दोस्त सरफराज एक कोने में बैठ सिसक रहा था। घटना के बारे में पूछने पर उसने आई नेक्स्ट को बताया कि रोड एक्सिडेंट में वसीम को सिर में गंभीर रूप से चोट लगी थी, जिसका इलाज कराने हमलोग उसे पीएसीएच लाए थे। सुबह ही हमलोग पूर्णिया से पटना पहुंच गए थे। रास्ते में वह हमलोगों से बात कर रहा था। लेकिन पीएमसीएच आने के बाद उसकी हालत बिगड़ने लगी, वह सुस्त होने लगा। सुबह डॉक्टर ने उसे देखा लेकिन ब्रेन के डॉक्टर ने उसे दस बजे देखा। समय से यदि ब्रेन के डॉक्टर उसका इलाज शुरू कर देते तो मेरा दोस्त बच जाता। जब हमलोग डॉक्टर को बुलाने गए तो उन्होने कहा कि 'इमरजेंसी छोड़कर पेशेंट देखने हम ऊपर नहीं जाएंगे.' एक परिजन ने बताया कि पेशेंट रास्ते में बात कर रहा था। यहां आने के बाद धीरे-धीरे बेचैनी शुरू हुई। इंजेक्शन देना था पेशेंट को तो नर्स ने कहा गलब्स लेकर आओ तब इंजेक्शन दिया जाएगा।

शाहजहां, परिजन

तीन बार ऊपर नीचे किया ट्रॉली वाले ने। एक बार ब्0 दूसरी बार भ्0 और तीसरी बार म्0 रुपए लिए। दवा भी बाहर से लाना पड़ा। पटना सेच्अच्छा तो पूर्णिया में ही इलाज हो जाता।

सरफराज, दोस्त

हम बेकार में पूर्णिया से पटना आ गए। इससेच्अच्छा तो पूर्णिया में इलाज होता है। हम लोग समझते थे कि पीएमसीएच में सबसेच्अच्छा इलाज होता है पर यहां आने के बाद तो हम हार गए।