साहित्यकारों द्वारा लगातार पुरस्कार लौटने को लेकर चल रहे विवाद में कलाकारों व साहित्यकारों के अलग-अलग सोच भी सामने आ रही है। कुछ लोग जहां ऐसे मामलों से अपना पल्ला झाड़ रहे हैं तो कई खुलकर अपने विचार सामने रख रहे हैं। सिटी में एक कार्यक्रम में शिरकत करने पहुंचे फेमस बांसुरी वादक पद्मविभूषण पंडित हरि प्रसाद चौरसिया ने खुलकर इस मुद्दे पर अपने विचार रखे। उन्होंने कहा कि इस प्रकार से प्रोटेस्ट करना बेहद गलत संदेश देता है। लोगों को अपनी बात मनवाने के दूसरे उपायों पर भी विचार करना चाहिए। आई नेक्स्ट रिपोर्टर प्रकाश मणि त्रिपाठी से उनकी बातचीत के मुख्य अंश

-साहित्यकारों और फिल्मकारों के बीच जो पुरस्कार लौटाने की होड़ मची है, इस पर क्या कहेंगे?

-मुझे समझ में नहीं आ रहा है कि आखिर साहित्यकार व कलाकार ऐसा क्यों कर रहे हैं। कोई भी पुरस्कार सरकार देती है। कोई पार्टी नहीं। अगर आपको किसी पार्टी से किसी बात को लेकर गुस्सा है, तो पुरस्कार लौटाने से क्या फायदा है।

-विरोध दर्ज कराने का यह चलन कहां तक सही है?

-अगर किसी घटना को लेकर विरोध दर्ज कराना है, तो उसके दूसरे रास्ते भी हैं। जो होना है, वो होगा, लेकिन उसके लिए ऐसा करना गलत है। यह पहली बार देखने को मिल रहा है। अगर मेरी बात करें तो हम संगीत वाले हैं। हमारा काम संगीत की साधना है। ठीक उसी प्रकार सबका क्षेत्र अलग है। हर आदमी को अपना काम करना चाहिए। किसी बात का विरोध करने के लिए ये तरीका गलत है।

-सिंगर अभिजीत के बयान पर उठे विवाद पर क्या कहेंगे?

-अभिजीत एक बेहतरीन सिंगर हैं। लेकिन उन्हें आपत्तिजनक शब्दों के प्रयोग से बचना चाहिए। किसी का अपमान करना ठीक नहीं है। कलाकार या साहित्यकार सबका अपना सम्मान है। किसी के लिए ऐसे शब्दों का प्रयोग गलत है। अगर कोई सम्मान लेता है या लौटाता है, तो ये उसकी व्यक्तिगत राय है। उस पर ऐसे कमेंट गलत है।

-आज के समय में शास्त्रीय संगीत की लोकप्रियता कम हो रही है। इसे कैसे देखते है?

-मैं, इस बात से सहमत नहीं हूं। शास्त्रीय संगीत को चाहने वाले कल भी थे और आज भी है। उसकी लोकप्रियता कम नहीं हो सकती है। संगीत की जान को कम करके आंकना ही गलत है।

-पहले की तुलना में नए कलाकार संगीत साधना से अधिक शो करने में व्यस्त हो जाते हैं। उस पर क्या कहेंगे?

-इसके पीछे सबसे अधिक जिम्मेदार चैनल वाले हैं। वे अच्छे आर्टिस्टों को मंच देते हैं, लेकिन उनके संगीत साधना के लिए कुछ खास व्यवस्था नहीं करते हैं। वे सिर्फ बच्चों का फायदा उठाकर अपनी टीआरपी बढ़ाते हैं। इसलिए वे भटकने की स्थिति में आ जाते हैं जबकि कायदे से उन्हें बच्चों को संगीत साधना के लिए अच्छे गुरु की व्यवस्था करनी चाहिए। जिससे वे संगीत में महारथ हासिल कर सके।

-वर्तमान में हनी सिंह के गानों को लोग अधिक पसंद कर रहे हैं?

-ठीक भी तो है, समय -समय में कुछ मनोरंजक चीजें होनी चाहिए। इससे लोगों का इंट्रेस्ट शास्त्रीय संगीत में बना रहता है।

- आने वाली पीढ़ी के लिए क्या कर रहे हैं?

-बांसुरी की बात करें, तो कई ऐसे नए कलाकार हैं जो मेरे बाद इस कला को आगे ले जाएगे। इसके लिए मुम्बई व भुवनेश्वर में गुरुकुल की स्थापना भी की है जहां बच्चों को संगीत की शिक्षा दी जा रही है। इनमें कई बेहतरीन कलाकार है, जो आगे चलकर संगीत के क्षेत्र में अपना नाम रौशन करेंगे।

-यूपी में कलाकारों को प्रोत्साहित करने के क्या कर रहे हैं?

-इसके लिए जरूरी है कि सरकार और लोग मिलकर पहल करें तभी कुछ हो सकता है। ऐसे में सरकारों को इसके लिए कार्य करने की जरूरी है। उसके बाद ही कलाकार इंट्रेस्ट लेंगे। सिर्फ कलाकारों के इंट्रेस्ट लेने से कुछ भी नहीं हो सकता।