बच्चन उपनाम बना लिया

मशहूर कवि हरिवंश राय बच्चन का जन्म उत्तर प्रदेश के ज़िला प्रताप गढ़ के बाबूपट्टी में 27 नवंबर 1907 को हुआ था। इनके पिता का नाम प्रताप नारायण श्रीवास्तव और माता का नाम सरस्वती देवी था। हरिवंश राय बचपन से ही कविताओं का शौक था और लोग इन्हें प्यार से बच्चन बुलाते थे। ऐसे में बाद में हरिवंश राय ने इसे अपने नाम के साथ जोड़ लिया था।

ये कविताएं हुई फेमस

इन्होंने सबसे पहले 1932 तेरा हार नाम की कविता लिखी थी। इस कविता के 1935 मधुशाला कविता छा गई थी। इसके बाद  तो इनके कविता लिखने का सिलसिला काफी तेजी से बढ़ने लगा। इन्होंने मधुबाला, मधुकलश, निशा निमन्त्रण, एकांत-संगीत, आकुल अंतर, प्रणय पत्रिका, मिलन यामिनी और खादी के फूल जैसी तमाम कविताएं लिखी हैं।

हौंसला बढ़ाती कविताएं

हरिवंश राय बच्चन की प्रसिद्ध कविताओं का अंग्रेजी सहित कई भारतीय भाषाओं में अनुवाद हुआ। इनकी कविताओं की खासियत थी कि यह उम्र के लोगों में अपनी जगह बना लेती हैं। अमिताभ बच्चन खुद मानते हैं वह जब भी परेशान होते हैं तो बाबू जी की ये कविताएं उन्हें संभलने में बहुत मदद करती हैं। इन कविताओं से अंदर से एक नई ऊर्जा का संचार होता है।  

जानें कैसे हरिवंश राय बने बच्‍चन,पढ़ें वो कव‍िताएं जो उनके बेटे अम‍िताभ को हैं बहुत पसंद

अग्निपथ..

वृक्ष हों भले खड़े,

हों घने हों बड़े,

एक पत्र छांह भी,

मांग मत, मांग मत, मांग मत,

अग्निपथ अग्निपथ अग्निपथ......

मधुबाला...

मैं मधुबाला मधुशाला की,

मैं मधुशाला की मधुबाला!

 मैं मधु-विक्रेता को प्यारी,

मधु के धट मुझ पर बलिहारी,

प्यालों की मैं सुषमा सारी,

मेरा रुख देखा करती है

मधु-प्यासे नयनों की माला।

मैं मधुशाला की मधुबाला....

मधुशाला...

मृदु भावों के अंगूरों की आज बना लाया हाला,

प्रियतम, अपने ही हाथों से आज पिलाऊंगा प्याला,

पहले भोग लगा लूं तेरा फिर प्रसाद जग पाएगा,

सबसे पहले तेरा स्वागत करती मेरी मधुशाला...

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