- छह दिन पूर्व खेत पर गए किसान ने सदमे से तोड़ दिया था दम

हस्तिनापुर : संकरी गली में छाया सन्नाटा व घर के बरामदे से महिलाओं का क्रंदन सूने आंगन की खामोशी तोड़ रहा है। वहीं, आंगन में गमगीन बैठे चंद लोग। रिश्तेदार या संबंधियों के आने पर हल्की राम-राम की आवाज आती है, मगर फिर खामोशी छा जाती है। यह हालत है पांच दिन पहले अपनी बर्बाद फसल को देख सदमे में दम तोड़ने वाले सैफपुर निवासी किसान मनोज के घर की। परिवार का दर्द है कि मौत की सूचना पर पहुंचे अधिकारी आर्थिक सहायता दिलाने का भरोसा तो दे गए पर इसके बाद कोई वापस नहीं आया। राजनीतिक दलों के लोग भी आश्वासनों व वायदों की घुट्टी पिला कर जा रहे हैं।

सदमें से उबर नहीं पाया परिवार

गुमसुम बैठी मनोज की पत्नी राजेश शायद यही सोच रही है कि अभी कुछ दिन तक तो सगे संबंधी उन्हें आकर ढांढस बंधा रहे है। परंतु कुछ दिन बाद बच्चों की परवरिश से लेकर उनकी शादी तक की पहाड़ जैसी जिम्मेदारी उसे ही निभानी होगी। दो बिटिया जवान है। इनकी शादी की ¨चता पल-पल साल रही है। एक बेटा भी अभी आईटीआई की पढ़ाई कर रहा है, और परिवार को अभी आमदनी का कोई सहारा नहीं। जमीन भी मात्र चार बीघा ही उनके हिस्से में आती है। इस पर बोया गेहूं नष्ट हो गया। खाने के लिए भी गेहूं खरीदने पड़ेंगे। वहीं, बड़ी बेटियों की शादी में साहूकार से लिया गया ऋण पूरा करने की चिंता भी सता रही है।

प्रशासन ने मुंह मोड़ा

मृत किसान के परिजनों का कहना है कि जिस दिन मनोज ने सदमे से दम तोड़ा था उसी दिन डीएम से लेकर तमाम अधिकारी उनके घर पर आए और मदद का आश्वासन दिया। परंतु आज छह दिन बीतने के बाद किसी अधिकारी ने वापस मुड़कर नहीं देखा कि उस परिवार का पालन पोषण किस तरह हो रहा है।

सेंक रहे राजनीतिक रोटियां

परिजनों कहना है कि उसी दिन से राजनीतिक दलों लोग भी उनके घर आ रहे हैं व तमाम बड़े वादे कर रहे हैं। परंतु किसी ने भी परिवार की आíथक सहायता उपलब्ध करने का बीड़ा नहीं उठाया।

भगवान भरोसे ही जीवन

जब मृतक किसान मनोज की पत्नी राजेश से पूछा गया कि अब वह कैसे गुजारा करेंगी तो उनके मुंह से केवल एक शब्द ही निकला कि अब भगवान ही उनकी मदद करेगा। यह कहते ही उनकी आखें छलक आई। वहां बैठी महिलाओं के मुंह से भी केवल यहीं बात निकली कि अब तो भगवान की परिवार का गुजारा करेगा।