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एचबीटीआई अब एचबीटीयू बन गई पर हालात नहीं बदले

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-आज से टेक्निकल यूनिवर्सिटी बन गई, लेकिन व्यवस्थाएं जस की तस

-एचबीटीआई में लेटरल एंट्री वाले सेकेंड इयर के 45 छात्रों की इयर बैक

-5 सब्जेक्ट में फेल स्टूडेंट्स का साल बर्बाद होना तय, छात्रों ने डायरेक्टर को घेरा

- इंफ्रास्ट्रक्चर में अभी काफी पीछे, स्वीकृत की आधी फैकल्टी भी नहीं

>kanpur@inext.co.in

KANPUR : आज का दिन एचबीटीआई में पढ़ने वाले स्टूडेंट्स के लिए के ऐतिहासिक है, क्योंकि आज उनका इंस्टीट्यूट खत्म हो जाएगा और वह एक नए इतिहास का हिस्सा बन जाएंगे। क्योंकि थर्सडे की सुबह एचबीटीआई की नहीं बल्कि एचबीटीयू होगी। यूनिवर्सिटी बनने की खुशी के बीच एक बुरी खबर भी आई। वेडनेसडे को संस्थान के स्टूडेंट्स ने डायरेक्टर को घेर लिया। क्योंकि वे सभी स्टूडेंट्स फेल हो गए और उसके पीछे वजह थी कि उनकी इंग्लिश कमजोर है और गेस्ट फैकल्टी के लेक्चर उनको समझ में नहीं आते हैं।

जमीन-आसमान का अंतर

करीब 95 साल पुराने एचबीटीआई में लेटरल एंट्री वाले करीब 45 स्टूडेंट की इयर बैक लग गई है। जिससे स्टूडेंट्स के करियर का एक साल बर्बाद हो जाएगा। इयर बैक लगने की सबसे बड़ी वजह है स्टूडेंट्स को इंस्टीट्यूट में इंग्लिश में पढ़ाया जाता है। वहीं स्टूडेंट्स का कहना है कि पॉलीटेक्निक के बाद बीटेक सेकेंड इयर में एडमिशन मिल जाता है। उनकी इंग्लिश कमजोर है। पॉलीटेक्निक की क्लासेस के लेवल व एचबीटीआई की क्लासेस के लेवल में जमीन आसमान का अंतर है। इंस्टीट्यूट की फैकल्टी क्लास में इंग्लिश में पढ़ाती है, वह हम लोगों के समझ से परे है।

उनको बस लेक्चर से मतलब

वेडनेसडे की दोपहर करीब 12 बजे एचबीटीआई के मेन गेट पर 50 से ज्यादा छात्र रोड पर बैठ गए और इयर बैक के लिए प्रोटेस्ट करने लगे। स्टूडेंट्स का आरोप है कि परमानेंट फैकल्टी न होने का खामियाजा हमें इयर बैक लगवाकर भुगतना पड़ रहा है। गेस्ट फैकल्टी क्लास लेती है। किसी छात्र को समझ में आए या न आए उनके एक लेक्चर का पैसा मिलना तय है। ज्यादातर गेस्ट फैकल्टी एमटेक व रिसर्च स्कॉलर है, जिसकी वजह से वह पढ़ाई पर उस तरह से फोकस नहीं कर पा रहे हैं।

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पूछने पर नहीं देते हैं जवाब

पॉलीटेक्निक या फिर किसी मान्यता प्राप्त संस्थान से डिप्लोमा करने वाले स्टूडेंट्स को बीटेक में लेटरल एंट्री के माध्यम से सेकेंड इयर में एडमिशन दिया जाता है। हालांकि यह छात्र स्टेट लेवल का एंट्रेंस एग्जामिनेशन बीट करके ही एडमिशन पाते हैं, लेकिन रूरल एरिया बैक ग्राउंड की वजह से इन स्टूडेंट्स की इंग्लिश अच्छी नहीं होती है जिसकी वजह से इंस्टीट्यूट में उन्हें क्या पढ़ाया जा रहा है वह समझ में नहीं आता है। गेस्ट फैकल्टी से अगर क्रॉस क्वैश्चन किया तो वह उसका जवाब न देकर वह क्लास रूम से बाहर चले जाते हैं।

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धरने के बाद बुलाई गई मीटिंग

सेकेंड इयर के स्टूडेंट्स का रिजल्ट 3 अगस्त को डिक्लेयर किया गया था, जिसमें कि लेटरल एंट्री वाले सेकेंड इयर के 45 स्टूडेंट्स व अन्य इयर के 8 स्टूडेंट्स की इयर बैक आ गई। इयर बैक आने का मतलब है कि छात्र 5 सब्जेक्ट में फेल है। अगर चार में इयर बैक आती और दो लैब होती हैं, इसके साथ 1000 मा‌र्क्स होते हैं तो स्टूडेंट्स को प्रमोट कर दिया जाता है। स्टूडेंट्स की यह इयर बैक 13 ब्रांच में आई है। इयर बैक वाले स्टूडेंट्स ने रजिस्ट्रार व डायरेक्टर से मिलकर बैक पेपर कराने की डिमांड की थी। जिस पर रजिस्ट्रार ने कहा कि जाओ बैक पेपर की तैयारी करो, लेकिन तीन दिन पहले कहा गया कि स्पेशल बैक पेपर नहीं कराया जाएगा। बुधवार को स्टूडेंट्स ने स्पेशल बैक पेपर की डिमांड कर मेन गेट पर धरने पर बैठ गए। डायरेक्टर प्रो। डीबी शाक्यवार व डीन ऑफ एकेडमिक अफेयर प्रो। डी परमार ने स्टूडेंट्स से अप्लीकेशन लेकर मीटिंग कॉल की है।

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यूनिवर्सिटी बन गई लेकिन फैकल्टी नहीं

एचबीटीआई अब एचबीटीयू बन गया है, लेकिन यहां फैकल्टी की जबरदस्त कमी है। एचबीटीआई में 131 पोस्ट फैकल्टी की स्वीकृत हैं, लेकिन वर्तमान में इंस्टीट्यूट में करीब 55 फैकल्टी मेंबर्स शिक्षा दे रहे हैं। ऐसी कंडीशन में संस्थान को गेस्ट फैकल्टी का ही सहारा लेना पड़ रहा है। यही वजह है कि क्वालिटी बेस एजूकेशन स्टूडेंट्स को नहीं मिल पा रही है। अब यूनिवर्सिटी बन गई है तो फिर से फैकल्टी रिक्रूटमेंट प्रॉसेस शुरू किया जाएगा।

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पहले यह देखा जा रहा है कि एकेटीयू ने जो ग्रेस मा‌र्क्स के सिस्टम में बदलाव किया है वह उसमें कितने स्टूडेंट्स पास हो रहे हैं। 15 मा‌र्क्स पाने वाले छात्र को 15 मा‌र्क्स का ग्रेस मिल जाएगा। थ्योरी में पास होने के लिए 40 ग्रेस मा‌र्क्स देने का प्रोविजन चार साल में रखा गया है। यह छात्र पर निर्भर है कि वह ग्रेस मा‌र्क्स कब लेगा। कमेटी की मीटिंग कॉल कर इन स्टूडेंट्स के मैटर पर विचार किया जाएगा।

-प्रो। डीबी शाक्यवार, डायरेक्टर, एचबीटीआई।