ये हैं भगवान दादा की कुछ अनजानी बातें
1. 1934 में बनी इंडस्ट्री की पहली बोलने वाली फिल्म 'हिम्मत-ए-मर्द' के एक सीन की शूटींग के दौरान भगवान दादा ने फिल्म की हिरोइन ललिता पवार को एक थप्पड़ मारा था। गलती से भगवान दादा से ये थप्पड़ इतने जोर से पड़ गया था कि ललिता पवार दो दिन तक कोमा में रहीं थी। इस थप्पड़ का असर ताउम्र उनकी आंख पर नजर आया।
2. भगवान दादा को शेवरले कार बेहद पसंद थी। वो इस कार के दिवाने थे और सहीं वजह थी कि उन्होंने 'शेवरले' नाम की एक फिल्म में भी काम किया था।
3. 1947 में भारत-पाकिस्तान के बंटवारे के बाद भड़के दंगों में उन्होंने कई मुस्लिम आर्टिस्ट और टेक्नीशियंस को अपने यहां जगह दी थी।
4. उनके द्वारा निर्देशित और निर्मित फिल्म के एक सीन में उनको पैसों की बारिश दिखानी थी तो उन्होंने इसके लिए नक्ली नहीं बल्की असली नोटों का यूज किया था।
5. उस समय फल्म इंडस्ट्री में ज्यादा डांसर्स नहीं हुआ करते थे। यहीं वजह थी की उन्होंने अपनी फिल्म 'अलबेला' के फेमस सॉन्ग 'शोला जो भड़के' में डांसर्स के तौर पर फाइटर्स का यूज किया था।
6. बता दें कि भगवान दादा अपने स्टंट खुद ही किया करते थे।
7. भगवान दादा की फिल्मों के नेगेटिव मुंबई के गोरेगांव में स्थित उनके गोदाम में रहते थे। लेकिन उसमें आग लग गई थी और 1940 के दशक तक की उनकी सारी फिल्में उसमें जल के खाक हो गई थी।
8. 1949 में भगवान दादा ने भारत की पहली हॉरर फिल्म 'भेड़ी बंगला' बनाई थी।
9. भगवान दादा हॉलीवुड फिल्म ऐक्टर डगलस फेयरबैंक के बहुत बड़े फैन थे। राज कपूर उन्हें इंडियन डगलस कहते थे क्योंकि वो फिल्मों में बहुत ही कमाल के स्टंट किया करते थे।
10. चेंबूर के आशा स्टूडियो कैंपस में उनका एक बंगला था। इस बंगले में वो ज्यादा दिन नहीं रहें। अपने निधन के समय तक भगवान दादा दादर के अपने पुराने मकान में ही रहे क्योंकि वहां रहना उनको बेहद प्रिय था।
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