- डॉ। जाकिर हुसैन इंस्टीट्यूट व आईआईबीएम के डायरेक्टर जनरल प्रो। डॉ। उत्तम कुमार सिंह से खास बातचीत

- प्रो। डॉ। उत्तम कुमार सिंह बिहार व झारखंड में टेक्निकल वोकेशनल एजुकेशन के जनक कहे जाते

PATNA : लोगों की भीड़ में अगर भेड़ चाल में चलोगे, तो कोई नहीं पूछेगा। वहीं अगर कुछ अलग सोच के साथ विपरीत दिशा में कदम बढ़ाओगे, तो सफलता खुद-ब-खुद कदम चूमेगी। कुछ ऐसा ही हुआ बांका निवासी प्रो। डॉ। उत्तम कुमार सिंह के साथ, जिन्होंने नई सोच व न्यू आइडियाज के साथ बिहार स्टूडेंट्स के लिए ऐसे यूनिक कोर्स लांच किए, जिसके बारे में कोई जानता तक नहीं था। और यही से उनकी प्रसिद्धि का क्रम शुरू हुआ, जो आजतक जारी है। उन्हें बिहार व झारखंड में टेक्निकल वोकेशनल एजुकेशन का जनकदाता भी कहा जाता है। मौजूदा समय में डॉ। सिंह डॉ। जाकिर हुसैन इंस्टीट्यूट व आईआईबीएम के डायरेक्टर जनरल और नागालैंड व अरूणाचल प्रदेश स्थित यूनिवर्सिटी के फाउंडर हैं। डॉ। सिंह शनिवार को आई नेक्स्ट कार्यालय आए और उन्होंने 'कॉफी विथ आई नेक्स्ट' में अपने कई छूए व अनछूए पहलुओं को शेयर किया।

शुरू से एजुकेशनल बिजनेस की चाह

शुरू से ही एजुकेशनल बिजनेस में काम करने की चाहत रखने वाले डॉ। सिंह ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा बांका में ही पूरी की। उसके बाद मैट्रिक वे भागलपुर के सीएमएस हाईस्कूल और ग्रेजुएशन टीएनबी कॉलेज से पूरा किए। वर्ष क्97ब् में एलएन मिश्रा से एमबीए करने के बाद उन्होंने नौकरी में दिलयस्पी नहीं दिखाई। बल्कि उन्होंने क्97भ् में इंस्टीट्यूट बिल्डिंग का काम करना शुरू किया और क्978 में पटना आकर एक साल बाद डॉ। जाकिर हुसैन इंस्टीट्यूट और बिजनेस स्कूल की नींव डाली।

बिहार में कई कोर्सो के हैं जनक

राजधानी पटना में इंस्टीट्यूट खोलने के बाद वे ऐसे कई कोर्सो को लांच किए, जिसके बारें में उस समय कोई जानता भी नहीं था। ये सारे कोर्स जॉब ओरिएंटेड थे। इनमें बिजनेस मैनेजमेंट में डिप्लोमा कोर्स, होटल मैनेजमेंट, डिप्लोमा इन कम्प्यूटर, जर्नलिज्म व मास कम्यूनिकेशन जैसे कोर्स शामिल हैं। डॉ। सिंह ने बताया कि बिहार में पहली बार क्980 में उन्होंने अपने इंस्टीट्यूट में कम्प्यूटर लगवाए। इतना ही नहीं डॉ। सिंह ने बताया कि वे हाल ही में अपने इंस्टीट्यूट में रोबोटिक्स में भी पढ़ाई शुरू किए हैं।

जब इंदिरा गांधी मूड़ कर पूछी

डॉ। सिंह एक संस्मरण सुनाते हुए कहते हैं कि वर्ष क्98फ्-8ब् में वे इंदिरा गांधी से मिलने गए। मुलाकात के दौरान जब डॉ। सिंह ने अपना परिचय देते हुए कहा कि मैं बिहार में कम्प्यूटर इंस्टीट्यूट चलाता हूं, तब तक इंदिरा गांधी चार-पांच कदम आगे बढ़ चुकीं थी। बिहार में कम्प्यूटर इंस्टीट्यूट चलाने की बात सुनते ही वे पलटीं और तुरंत पीए से मिलने की बात कही। पीए से मिलने के बाद डॉ। सिंह को कम्प्यूटर एजुकेशन के लिए दस दिन के अंदर क्0 लाख रुपए का डिमांड ड्राफ्ट दिया गया।

देश भर में फैली हैं कई शाखाएं

डॉ। जाकिर हुसैन इंस्टीट्यूट की बिहार सहित देश भर में कई शाखाएं हैं। बिहार में पटना, मुज्जफरपुर, भागलपुर और मुंगेर व झारखंड में रांची, जमशेदपुर, धनबाद और देवघर में शाखा है। इसके अलावा दिल्ली, बेंगलुरू, कोलकाता, भूवनेश्वर, पूने, देहरादून सहित देश भर में इनके ख्ख् ब्रांचेज हैं। साथ ही नागालैंड और अरुणाचल प्रदेश में विश्वविद्यालय संचालित हो रहा है और बिहार के बांका जिले में विश्वविद्यालय प्रस्तावित है।