-सूबे के स्वास्थ्य मंत्री ने मंडलीय अस्पताल का किया निरीक्षण

-वार्ड से लेकर ब्लड बैंक और ऑपरेशन थियेटर तक का जाना हाल

VARANASI

सूबे के स्वास्थ्य मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह ने शुक्रवार की शाम मंडलीय हॉस्पिटल कबीरचौरा पहुंचे। पहले से तय प्रोग्राम के तहत अस्पताल में सुबह से ही साफ-सफाई का दौर जारी रहा। लेकिन फिर भी मंडलीय हॉस्पिटल में खामियों पर स्वास्थ्य मंत्री ने चिकित्साधिकारियों को टोक ही दिया। दरअसल, इंस्पेक्शन के दौरान चिकित्साधिकारियों से मेडिकल फैसिलिटीज पर मंत्री ने पूछा कि यहां आईसीयू है, जवाब मिला नहीं, वेंटीलेटर है, नहीं। मॉड्यूलर ओटी है, नहीं। रिकॉर्ड कैसे मेंटेन करते हैं? जवाब मिला मैनुअली। आखिर में अंतत: स्वास्थ्य मंत्री बोल ही पड़े, पीएम के क्षेत्र में ऐसे हालात हैं तो कैसे काम चलेगा? स्वास्थ्य मंत्री ने वार्ड से लेकर ब्लड बैंक और ऑपरेशन थियेटर तक का हाल जाना।

PA से बोले फॉलो करते रहें

इंस्पेक्शन के दौरान स्वास्थ्य मंत्री ने इमरजेंसी वार्ड में मरीज देख रहे डॉ। एके मनी से पूरी प्रक्रिया जानी। कैसे मरीज देखते हैं, भर्ती की प्रक्रिया क्या है वगैरह-वगैरह। इसके बाद पूछा मरीजों की जानकारी और जांच आदि के बारे में जानकारी कैसे दर्ज होती है? बताया गया मैनुअली तो हैरान रह गए। चिकित्सा अधीक्षक से बोले, अब ऐसा नहीं चलेगा। पर्ची बनाने से लेकर मेडिकल रिकॉर्ड मेंटेन करने का पूरा कार्य ऑनलाइन करना होगा। एमएस डॉ। अरविंद सिंह ने बताया कि यूपीएचएसएसपी स्तर पर यह प्रस्ताव अटका है। इस पर मंत्री ने अपने पीए से कहा एक सप्ताह तक फॉलो करके यहां ऑनलाइन व्यवस्था शुरू कराएं।

इन्हें BHU भिजवाएं

मेडिसिन वार्ड में एडमिट महमूरगंज के संतोष वर्मा की नाजुक हालत देख मंत्रीजी वहीं रुक गए। डॉक्टर्स ने बताया कि क्रॉनिक लिवर डिजीज है। पूछा रेफर कहां करेंगे, विकल्प क्या है। जानकारी मिली कि ख्म् अप्रैल को बीएचयू से ही नो बेड के चलते संतोष को रेफर किया गया था। मंत्री ने परिजनों से पूछा लखनऊ भिजवा दें, ले जाएंगे आप लोग। परिजनों ने असमर्थता जाहिर की तो सीएमओ को निर्देश दिया कि तत्काल व्यवस्था कर इन्हें बीएचयू भिजवाया जाए। हालांकि इस निर्देश के बाद भी घंटों संतोष मंडलीय अस्पताल में ही रहे।

बच्चों को अस्पताल न लाएं

वार्ड नंबर सात पर एक मरीज का हाल पूछने के दौरान परिजन की गोद में स्वास्थ्य मंत्री को एक बच्चा दिख गया। सिद्धार्थ नाथ सिंह ने कहा बच्चों को हॉस्पिटल न लाया करें। यहां चारों तरफ बीमारियां हैं।