-मंडलीय हॉस्पिटल के डायलिसिस सेंटर में हैं सिर्फ तीन बेड

-डायलिसिस कराने के लिए मरीजों को मिल रहा है 60 दिन आगे का डेट

अगर आप किडनी की बीमारी से जूझ रहे हैं और अपनी जान बचाने के लिए मंडलीय हॉस्पिटल में डायलिसिस कराना चाहते है तो आप अभी से बेड बुक करा लीजिए। क्योंकि यहां डायलिसिस कराने वालों की लंबी कतार है। यहां एक मरीज को डायलिसिस कराने में डेढ़ से दो माह का समय लग रहा है। तीन बेड के इस सेंटर में वर्तमान में 70 मरीज वेटिंग लिस्ट में है। ऐसा होना भी लाजमी है। कारण, 325 बेड के इस हॉस्पिटल में बने डायलिसिस यूनिट में महज तीन बेड ही हैं। अधिकारियों की दलील है कि मैन पावर कम होने के कारण चाह कर भी डायलिसिस सेंटर में बेड नहीं बढ़ाया जा सकता है।

जरूरी नहीं हर किसी को मिले डायलिसिस

गरीब व असहाय लोगों के लिए बने इस डायलिसिस सेंटर में किडनी से पीडि़त मरीजों की भरमार रहती है। लेकिन बेड कम होने की वजह से डायलिसिस के लिए ज्यादातर मरीजों को लंबा इंतजार करना पड़ता है। जिनका नंबर लग चुका है, वह जीवित हैं। जबकि अन्य मरीज जिंदगी के एक-एक पल गिनने को मजबूर हैं। इस बीच यदि समय रहते मरीजों का नंबर नहीं आता है तो वह बीएचयू या प्राइवेट सेंटर में डायलिसिस कराने को मजबूर हो रहे हैं।

एक दिन में सिर्फ तीन डायलिसिस

मंडलीय हॉस्पिटल में छह माह पहले राज्यमंत्री डॉ। नीलकंठ तिवारी व डीएम की मदद से डायलिसिस सेंटर में तीन यूनिट बनवाया गया। तीन बेड के इस सेंटर में मरीजों की मुफ्त में डायलिसिस की जाती है। सेंटर बनने के बाद इसे चार सिफ्ट में चलाने की प्लानिंग थी। लेकिन मैन पावर और डॉक्टर न होने से यह ओपीडी टाइम में ही चल रहा है। जिसके चलते डेली सिर्फ तीन मरीजों का ही डायलिसिस हो पाता है। जबकि मरीजों की संख्या इससे कहीं अधिक है। बेड कम होने की वजह से मरीज डायलिसिस के लिए एक से दो माह तक चक्कर लगाते रह जाते हैं।

नहीं हो रही सुनवाई

अधिकारियों का कहना है कि डायलिसिस कराने वाले पेशेंट की बढ़ती संख्या को देखते हुए स्वास्थ्य निदेशालय से मैन पावर बढ़ाने की मांग की गई है। जिससे डायलिसिस यूनिट की संख्या बढ़ाई जा सके। लेकिन अभी तक सुनवाई नहीं हो सकी है। उनका कहना है कि इस हॉस्पिटल में डायलिसिस कराना आसान नहीं है। बहुत से ऐसे पेशेंट्स होते हैं जो डायलिसिस कराने के लिए जिला अस्पताल चले तो आते हैं लेकिन जब यहां काफी देरी होती है तो जिंदगी बचाने के लिए मजबूरी में प्राइवेट हॉस्पिटल जाते हैं।

क्या है डायलिसिस

किडनी के पेशेंट के खून को मशीन के जरिए शुद्ध किया जाता है। यह प्रक्रिया तब अपनाई जाती है जब उसकी किडनी ठीक से काम नहीं करती। खून में अनावश्यक तत्वों की संख्या बढ़ने लगती है। ऐसे में सप्ताह में दो से तीन बार हीमोडायलिसिस की जाती है।

फिलहाल हॉस्पिटल के डायलिसिस सेंटर में तीन बेड हैं। सुबह 9 से अपराह्न 3 बजे तक ही मरीजों की डायलिसिस की जाती है। 70 से ज्यादा मरीज वेटिंग लिस्ट में हैं। मैन पावर की कमी समस्या है। ऐसे में यह सेंटर सिर्फ एक टेक्निशियन के भरोसे चल रहा है।

डॉ। बीएन श्रीवास्तव, एसआईसी, मंडलीय हॉस्पिटल

एक नजर

3

ही बेड हैं डायलिसिस सेंटर में

3

मरीजों की ही डायलिसिस होती है रोजाना

70

मरीज हैं वेटिंग लिस्ट में

60

दिन आगे की मिल रही डेट

3

बार सप्ताह में मरीज को करानी होती है डायलिसिस

3

हजार रुपये से ज्यादा है निजी हॉस्पिटल में एक बार डायलिसिस की फीस