- स्वास्थ्य सुविधा मुहैया कराने में प्रदेश के कई जिले फिसड्डी

-सुविधाओं में फिरोजाबाद अव्वल, लखनऊ 66वें पायदान पर

-नेशनल हेल्थ मिशन के सर्वे में बदहाल हालत उजागर

sunil.yadav@inext.co.in

LUCKNOW: एकतरफ स्वास्थ्य सेवाएं बेहतर करने के लिए प्रदेश और केंद्र सरकार हर साल अरबों रुपये खर्च कर रही है। वहीं दूसरी ओर अस्पतालों के अधिकारी और कर्मचारी मिलकर सेवाओं में बट्टा लगा रहे हैं। आलम यह कि बहुत से जिलों में स्वास्थ्य सेवाओं का हाल बदतर स्थिति में है। नेशनल हेल्थ मिशन (एनएचएम) की परफार्मेस रिपोर्ट के अनुसार, कुशीनगर, कानपुर देहात, बांदा, फैजाबाद व चंदौली में सुविधाओं का स्तर प्रदेश में सबसे निचले स्तर का है। राजधानी लखनऊ के हालात भी ठीक नहीं हैं।

हालांकि इनकी हालत बेहतर

एनएचएम की ओर से फरवरी माह की परफार्मेस में सबसे अच्छा रिजल्ट फिरोजाबाद जिले का है। फिरोजाबाद का टोटल स्कोर 101 है जबकि 100 के साथ बागपत, 99 के साथ आगरा और बरेली 98 नंबरों के साथ आगे हैं। हरदोई व झांसी भी बेस्ट की कैटेगरी में स्थान पाने में सफल हुए हैं। नेशनल हेल्थ मिशन की ओर से हर माह प्रदेश के जिलों में विभिन्न सुविधाओं की रिपोर्ट तैयार किया जाता है ताकि पता चल सके कि मरीजों को दी जाने वाली सुविधाएं जमीनी हकीकत में कितनी सफल हैं। इसमें नेशनल प्रोग्राम्स व नेशनल हेल्थ मिशन से जुड़ी सर्विसेज हैं।

इन सुविधाओं पर सर्वे

ओपीडी और इनडोर मरीजों की संख्या, कितने बेड में मरीज भर्ती रहे, पैथोलॉजी सर्विसेज में बदलाव, संस्थागत प्रसव, महिलाओं को जननी सुरक्षा योजना का लाभ, सिजेरियन डिलीवरी, टीकाकरण, स्टरलाइजेशन, महिला नसबंदी, मोतियाबिंद ऑपरेशन, मदर एंड चाइल्ड ट्रैकिंग (एमसीटीएस)में रजिस्ट्रेशन, आरसीएच में बजट का यूटीलाइजेशन, एनयूएचएम और आरआई का फंड यूटीलाइजेशन, कंस्ट्रक्शन वर्क, हाई रिस्क प्रेगनेंसी आईडेंटीफिकेशन, फुल एएनसी सर्विसेज देने और मैटरनल डेथ्स का सर्वे किया गया।

जननी सुरक्षा का लाभ देने में भी पीछे

बहुत से जिले ऐसे हैं जो संस्थागत प्रसव को बढ़ावा देने और जननी को पोषण देने के लिए मिलने वाली धनराशि भी नहीं देते। गाजियाबाद में सिर्फ 54.8 परसेंट को ही इसका लाभ मिला। जबकि फैजाबाद में 61 परसेंट को ही जेएसवाई की धनराशि दी गई। गोंडा में 71 परसेंट , कानपुर देहात में 68, बलिया में 45, कुशीनगर में 72 और सिद्धार्थनगर में 54 परसेंट लाभार्थियों को ही धनराशि ट्रांसफर की गई। जबकि हर जिले में इतनी धनराशि दी जाती है कि हर अस्पताल में डिलीवरी होने वाली जनरल वार्ड की हर एक महिला को चेक दी जा सके।

लखनऊ की परफार्मेस भी अच्छी नहीं

रिपोर्ट के मुताबिक राजधानी लखनऊ के हालात भी बहुत अच्छे नहीं हैं। लखनऊ का कुल स्कोर 71 है जबकि एनएचएम ने 70 से नीचे स्कोर वाले सभी जिलों को पूअर की कैटेगरी में रखा है। लखनऊ इस सूची में 66वें पायदान पर है। यहां पर इस माह में नेशनल प्रोग्राम्स के लिए अवेलेबल फंड में से 20.8 परसेंट ही खर्च किया जा सका और एनयूएचएम के बजट का 50.4 परसेंट ही यूटीलाइज हो सका।

फरवरी माह में

टॉप 5-फिरोजाबाद, बागपत, आगरा, बरेली

बॉटम 5- कुशीनगर, कानपुर देहात, बांदा, फैजाबाद, चंदौली

जनवरी का हाल

टॉप 5: झांसी, हरदोई, बरेली, आगरा, बागपत

बॉटम 5: कुशीनगर, कानपुर देहात, बांदा, फैजाबाद, चित्रकूट

जिलों का स्कोर

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फिरोजाबाद 101

बागपत 100

आगरा 99

बरेली 99

हरदोई 98

झांसी 98

इलाहाबाद 97

वाराणसी 75

कानपुर 85

गोरखपुर 88

लखनऊ 71

मेरठ 79

बाराबंकी 91

चित्रकूट 68

चंदौली 68

फैजाबाद 65

बांदा 61

कानपुर देहात 59

कुशीनगर 54