- ऐतिहासिक घंटाघर को है जीर्णोद्धार की जरूरत

- कई बार बनी योजना, लेकिन अंजाम तक नहीं पहुंची

- सरकार और मददगारों ने पीछे खींचे मदद के हाथ

- अब नगर निगम का दावा, खुद करेंगे जीर्णोद्धार

DEHRADUN: दून शहर का दिल कहा जाने वाला घंटाघर अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा है। घंटाघर के जीर्णोद्धार के लिए कई संस्थानों ने आगे आने का दावा किया, लेकिन ये दावे सिर्फ दावे ही रह गए। सरकार तक को निगम ने इसके लिए प्रपोजल भेजा था। सरकार ने मदद देने की बात भी कही थी लेकिन अब सरकार ने भी बजट को लेकर अपने हाथ पीछे खींच लिए हैं। अब निगम ने खुद ही इसके जीर्णोद्धार का जिम्मा उठाया है। इसके लिए निगम ने गुरुकुल की ब्रिडकुल व निगम के लोक निर्माण विभाग को जिम्मेदारी दी है।

क् करोड़ भ्0 लाख का बजट

घंटाघर की 70 फीट लंबी ऐतिहासिक इमारत का कायाकल्प करने के लिए दो मुख्य काम किए जाने हैं। पहला सुदृढ़ीकरण, जिसके लिए ब्0 लाख रुपए का बजट स्वीकृत किया गया है। ये जिम्मेदारी ब्रिडकुल को दी गई है। दूसरा काम है सौंदर्यीकरण का, जिसके लिए क् करोड़ क्0 लाख का बजट स्वीकृत हुआ है। ये काम निगम ने अपने लोक निर्माण विभाग को सौंपा है। कुल मिलाकर घंटाघर के कायाकल्प के लिए क् करोड़ भ्0 लाख रुपए का बजट रखा गया है।

ब क्या हुआ

निगम से मिली जानकारी के मुताबिक ख्0क्7 में ओएनजीसी ने घंटाघर के जीर्णोद्वार के लिए करीब ब्0 लाख रुपए की मदद देने की बात कही थी। लेकिन, बाद में ओएनजीसी ने अपने हाथ खड़े कर दिए। इसके बाद सरकार ने भी बजट देने से इनकार कर दिया।

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अब नगर निगम स्वयं ही घंटाघर का जीर्णोद्धार करेगा। इसकी जिम्मेदारी ब्रिडकुल और निगम के ही निर्माण विभाग को सौंपी गयी है। इसके लिए डेढ़ करोड़ रुपए का बजट स्वीकृत किया गया है।

- विनोद चमोली, मेयर, नगर निगम।

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ये है घंटाघर की खासियत

- 70 फुट ऊंची बिल्डिंग

- म् मंजिलों तक चढ़ने को 80 सीढि़यां

- म् यूनीक क्लॉक्स