कई आयुर्वेदिक दवाओं में इलाज के नाम पर दिया जा रहा 'जहर'

-दवाएं ने शरीर में लेड मात्रा पहुंचाई दस गुना अधिक

-आर्सेनिक और क्रोमियम भी अप्रत्याशित रूप से बढ़ी

-जिंक लखनऊ की मरीज की हालत हुई गड़बड़

sunil.yadav@inext.co.in

LUCKNOW: अगर आप आयुर्वेदिक दवाओं का सेवन कर रहे हैं तो ये खबर आपकी नींद उड़ा सकती है। बीमारी से झटपट राहत दिलाने के नाम पर कई आयुर्वेद दवाओं में ऐसे मैटेरियल मिलाए जा रहे हैं, जिनसे फौरी राहत तो मिल सकती है लेकिन ये आपको बहुत बड़ी मुसीबत में ढकेल सकती हैं। असल में इन दवाओं में मौजूद आर्सेनिक, लेड, कैडमियम, क्रोमियम जैसे हैवी मेटल्स बीमारों को और बहुत बीमार बना रहे हैं।

आर्थराटिस के इलाज में दिया जहर'

बख्शी का तालाब निवासी एक महिला मरीज पिछले तीन साल से आर्थराटिस के लिए आयुर्वेदिक दवाओं का सेवन कर रही थी। लेकिन पिछले काफी समय से उनकी समस्या ठीक होने की बजाए बढ़ने लगी। घुटनों में सूजन, पेट में दर्द, जैसी समस्याएं होने लगी। जिसके बाद किसी डॉक्टर ने उन्हें दिल्ली भेज दिया। जहां जांच में उनके शरीर में हैवी मेटल लेड की पुष्टि हुई। उन्हें फिर केजीएमयू रेफर किया गया। जांच में मात्रा और अधिक निकली। पता चला कि लेड के साथ आर्सेनिक और कई अन्य हैवी मेटल्स की मात्रा भी उनके शरीर में काफी अधिक था।

शरीर में बढ़े हैवी मेटल्स

केजीएमयू के बायोकेमेस्ट्री विभाग के एचओडी प्रो। अब्बास अली मेहंदी ने बताया कि शरीर में लेड की मात्रा 10 माइक्रोग्राम प्रति डेसीलीटर होनी चाहिए। इसके साथ ही आर्सेनिक 5 माइक्रोग्राम प्रति लीटर होना चाहिए। लेकिन बख्शी का तालाब निवासी महिला मरीज की जांच में शरीर में लेड की मात्रा 85 माइक्रोग्राम प्रति डेसीलीटर और आर्सेनिक 10 माइक्रोग्राम प्रति लीटर था। क्रोमियम की मात्रा शरीर में सामान्य स्तर 2 माइक्रोग्राम प्रति लीटर मिली। यह स्वस्थ्य शरीर के लिए बहुत खतरनाक है।

आयुर्वेदिक दवा में हैवी मेटल्स

जांच में इन मेटल्स की मात्रा परमीसिबल लिमिट से बहुत अधिक थी। जबकि क्रोमियम और कैडिमियम की मात्रा भी ऐसे ही अप्रत्याशित रूप से बढ़ी थी। दवाओं में इन धातुओं की मात्रा इतनी अधिक नहीं होनी चाहिए। इन दवाओं को वह तीन साल से खा रही थीं, जिससे शरीर में भारी मेटल्स की इतनी अधिक मात्रा पहुंची। केजीएमयू के बायोकेमेस्ट्री विभाग की जांच में दवाओं में लेड की मात्रा 15 से 124563.05 पा‌र्ट्स पर मिलियन (पीपीएम), आर्सेनिक 21 से 36359 पीपीएम और क्रोमियम की 2 से 62.4 पीपीएम मिलीं, जबकि ये मात्रा दवाओं में नहीं होनी चाहिए।

लेड बिगाड़ देगा सिस्टम

लेड का शरीर के हर अंग में बुरा प्रभाव पड़ता है। ज्यादा एक्सपोजर से नर्वस सिस्टम बुरा प्रभाव डालता है और कार्यक्षमता प्रभावित होती है। लंबे समय तक शरीर में रहने पर पेट में दर्द, उंगलियों, कलाई और घुटने में दर्द और एनीमिया की दिक्कत होती है। ब्रेन में दिक्कतों के साथ ही फर्टीलिटी पर भी असर पड़ता है। इसके अलावा हार्ट, किडनी और प्रतिरोधक क्षमता भी बुरी तरह प्रभावित होती है।

आर्सेनिक नहीं आफत कहिए

आर्सेनिक प्वायजनिंग से बॉडी में हेडेक, बार बार डायरिया होना, हार्ट डिजीज, कैंसर, वोमिटिंग, वोमिटिंग में ब्लड आना, बाल झड़ना और पेट में दर्द होना जैसी समस्याएं होती हैं।

दर्द की दवाएं लें तो कराएं जांच

डॉ। अब्बास ने बताया कि दर्द के लिए दवाएं ले रहे हैं तो लिवर और किडनी फंक्शन टेस्ट जरूर कराएं। ये दवाएं सबसे अधिक इन्हीं अंगों पर असर डालती हैं। अगर कोई दिक्कत होती है तो डॉक्टर को दिखाएं। केजीएमयू में लेड के लिए रेफरल सेंटर है जहां जांच होती है। आयुर्वेदिक या कोई दर्द की दवाएं ले रहे हैं तो ब्रांडेड दवाएं ही लें, लोकल दवाओं में इन हैवी मेटल्स की मात्रा अधिक हो सकती है।

तो देनी पड़ेगी चिलेशन थिरेपी

डॉक्टर ने अभी पेशेंट की डाइट चेंज की है और जिंक, कैल्शियम की प्रचुरता वाले सप्लीमेंट बढ़ाए हैं और दूध की मात्रा अधिक लेने को कहा है। साथ में कुछ दवाएं दी हैं। अगर एक से डेढ़ माह में बदलावों से हैवी मेटल्स का स्तर कम नहीं होता है तो उसे चिलेशन थिरेपी देनी पड़ेगी। जिसके काफी साइड इफेक्ट होते हैं। हालांकि ये सभी मेटल्स बॉडी से बाहर निकल जाएंगे।

मेटल-मानक- दवाओं में मिला (पीपीएमम)

लेड-10-124563.05

आर्सेनिक-5-3633359

क्रोमियम-2-62.4

बिहार का बच्चा, अमेरिका में बीमारी, केजीएमयू में इलाज

सीवान बिहार के शिवम (4.5 वर्ष) अपने पैरेंट्स के साथ अमेरिका में रह रहा था। शिवम ऑटिज्म से भी पीडि़त था। लेकिन इस दौरान उसकी बॉडी में लेड का स्तर काफी बढ़ गया। लगातार पेट में दर्द ओर अन्य समस्याएं बनी थी। डॉक्टर्स ने लेड प्वायजनिंग सस्पेक्ट की थी। उसके बाद उसे केजीएमयू भेजा गया। यहां पर जांच में उसके शरीर में लेड का स्तर 65 माइक्रोग्राम प्रति डेसीलीटर निकला। जिसके बाद प्रो। अब्बास की टीम ने बच्चे को चिलेशन थिरेपी व अन्य दवाएं दी। जिसके बाद उसके शरीर में लेड की मात्रा नार्मल हुई।

पेशेंट में लेड और अन्य मेटल्स की मात्रा काफी अधिक मिली है। दवाओं में यह मात्रा बहुत अधिक है। दर्द की दवाएं लेते हैं किडनी और लिवर फंक्शन टेस्ट भी कराएं।

-प्रो। अब्बास अली मेहंदी, एचओडी, बायोकेमेस्ट्री डिपार्टमेंट, केजीएमयू