- आग लगने के बाद केजीएमयू प्रशासन की लापरवाही उजागर

- सुरक्षा के बड़े-बड़े दावे निकले हवा हवाई

- भगवान भरोसे केजीएमयू, हमेशा रहते हैं करीब 4,000 मरीज

- किसी भी इमारत में फायर सेफ्टी की एनओसी नहीं

- घटना से पहले स्टोर में लाई गई थी ट्रक भरकर दवाएं

LUCKNOW :

किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (केजीएमयू) के सिर्फ ट्रॉमा सेंटर में हर समय 300 से अधिक मरीज भर्ती रहते हैं, लेकिन यहां आग बुझाने के इंतजाम तो छोडि़ए, फायर अलार्म तक काम नहीं कर रहा था। इसी वजह से आग लगने की जानकारी वक्त पर नहीं मिल सकी। जब तक पता चला, आग विकराल रूप ले चुकी थी और धुंआ पूरी बिल्डिंग में फैल चुका था। संडे को ट्रॉमा में आग के कारणों की जांच के लिए पहुंची विद्युत सुरक्षा निदेशालय और फायर डिपार्टमेंट की टीम ने ट्रॉमा सेंटर जाकर आग लगने की वजहों की जांच की। पता चला कि पूरी बिल्डिंग में फायर अलार्म काम नहीं कर रहे थे। उल्लेखनीय है कि पूरे केजीएमयू में हर वक्त करीब 4000 मरीज रहते हैं।

जांच में सामने आया सच

सीएफओ एबी पांडेय ने बताया कि सभी फ्लोर पर चेक किया गया है कहीं भी फायर अलार्म सिस्टम वर्किंग नहीं है। यही नहीं पूरे केजीएमयू में फायर अलार्म सिस्टम काम नहीं कर रहा है। जिसके कारण कभी केजीएमयू में बड़ा हादसा हो सकता है। मालूम हो कि केजीएमयू के ट्रॉमा सेंटर, गांधी वार्ड, क्वीनमेरी, लॉरी कार्डियोजी, पीडियाट्रिक, सर्जरी, शताब्दी सहित अन्य पूरे गांधी मेमारियल हॉस्पिटल में लगभग 4500 बेड हैं। जिनमें लगभग 4000 मरीज हमेशा भर्ती रहते हैं। फायर ऑफिसर ने बताया कि किसी भी इमारत के पास फायर सेफ्टी की एनओसी नहीं है। यानी कि कोई भी इमारत आग लगने की दृष्टि से महफूज नही है। केजीएमयू के ट्रॉमा सेंटर के लिए फायर डिपार्टमेंट की ओर से हर साल एनओसी के लिए और आग से निपटने के लिए पर्याप्त इंतजाम करने के लिए नोटिस जारी की जाती है। लेकिन केजीएमयू अधिकारियों ने मरीजों की जान को ताक पर रखते हुए कोई इंतजाम नहीं किए। ट्रॉमा सेंटर में सिर्फ आग से बुझाने के लिए कुछ जगहों पर फायर एक्सटींग्यूशर रखे हुए हैं लेकिन उन्हें चलाने की जानकारी भी यहां के डॉक्टर्स व कर्मचारियों को नहीं है। शायद इसी कारण आग लगने के बावजूद आग बुझाने के लिए इनका प्रयोग नहीं किया जा सका।

शनिवार को ही आई थी ट्रक भर दवाएं

जिस कमरे में आग लगी उसमें रखी दवाएं, सर्जरी का सामान शनिवार को ही ट्रॉमा सेंटर लाई गई थी। दवाओं और सामान से पूरा स्टोर रूम भरा हुआ था। जिसमें ग्लूकोज बोतलें, कॉटन, सीरींज, एंटीबायोटिक दवाएं, सर्जरी का सामान था। कर्मचारियों ने बताया कि कुछ मशीनें व महंगे एक्विपमेंट भी थे जिन्हें रात लगभग तीन बजे निकलवाकर शताब्दी में शिफ्ट करा दिया गया।

बॉक्स बॉक्स

फ्रिज में शार्ट सर्किट से तो नहीं भड़की आग

प्रथमदृष्टया जांच टीम ने पाया है कि दवाओं के गोदाम के अंदर बने छोटे किचन नुमा कमरे में रखे फ्रिज के बोर्ड में शॉर्ट सर्किट से आग लगी थी। फ्रिज के अंदर जीवनरक्षक दवाएं थी। जिन्हें फ्रिज में रखना आवश्यक होता है। इस कारण यह फ्रिज लगातार चलता रहा। आग लगने के कारण दीवार में लगी वायरिंग की लोहे की पाइप के अंदर भी तार गलकर आपस में चिपक गए थे। फ्रिज से फैली आग दवाओं के गोदाम में फैल गई ओर सारा सामान जला डाला। इसी कमरे में लगी एसी डक्ट से धुंआ वेंटीलेटरी यूनिट सहित फ‌र्स्ट, सेकेंड ओर थर्ड फ्लोर पर फैल गया।