1- इक्विटी में इन्वेस्टमेंट के जरिए अधिक रिटर्न मिलने की संभावना रहती है। इक्विटीज या इक्विटी म्यूचुअल फंड की बिक्री से होने वाले लॉंग टर्म कैपिटल गेन पर टैक्स नहीं लगता है। इसके लिए जरूरी है कि सिक्युरिटी  ट्रांजैक्शन टैक्स का भुगतान किया गया हो।

 

2- स्टॉक मार्केट, आईपीओ, म्यूचुअल फंड और इक्विटी लिंक्ड सेविंग स्कीम ईएलएसएस के जरिए इक्विटी में निवेश कर सकते हैं। इक्विटी शेयर और इक्विटी म्यूचुअल फंड अगर आप एक साल के बाद बेचते हैं तो इसे लॉंग टर्म कैपिटल गेन माना जाता है। इक्विटी लिंक्ड सेविंग स्कीमों में तीन साल का लॉक इन पीरिएड है। तीन साल का लॉक इन पीरिएड है। तीन साल के बाद इन स्कीमों से होने वाली इनकम को लॉग टर्म कैपिटल गेन माना जाता है।

3- लाइफ इन्श्योरेंस पॉलिसी किसी तरह की अनहोनी होने पर तो वित्तीय सुरक्षा मुहैया कराती ही हैं साथ ही यह पॉलिसी होल्डर्स को कई तरह से बेनिफिट भी देती हैं जिन पर टैक्स नहीं लगता है। लाइफ इंश्योरेंस प्लान में जब प्लान की अवधि खत्म होती है तो पॉलिसी होल्डर को मैच्योरिटी बेनिफिट मिलता है। इसके अलावा पॉलिसी होल्डर्स की मौत होने पर डेथ बेनिफिट मिलता है। मनी बैक प्लान में प्लान की अवधि के दौरान मनी बैक बेनिफिट दिया जाता है। इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 10 (10 डी) के तहत ये सभी बेनिफिट टैक्स फ्री हैं।

4- इस समय में दो तरह के प्रॉविडेंट फंड है। इम्प्लाई प्रॉविडेंट फंड ईपीएफ। यह सैलरी पाने वाले कर्मचारियों के लिए है और दूसरा पब्लिक प्रॉविडेंट फंड जो कि सबके लिए खुला है। ईपीएफ पर मिलने वाला रिटर्न टैक्स फ्री है। इसके अलावा पीपीएफ अकाउंट की 15 साल में मैच्योरिटी पर मिलने वाला रिटर्न टैक्स फ्री है।

5- इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 80 टीटीए के तहत सेविंग अकाउंट पर मिलने वाला इंटरेस्ट टैक्स फ्री है। आप सेविंग अकाउंट पर अधिकतम 10,000 रुपए तक के इंटरेस्ट पर ही टैक्स छूट ले सकते हैं। अगर आप के पास कई सेविंग अकाउंट हैं तब भी आप कुल 10, 000 रुपए इंटरेस्ट पर ही टैक्स छूट ले पाएंगे।

6- इक्विटी में निवेश पर मिला डिवीडेंड इक्विटी शेयरों और इक्विटी म्यूचुअल फंडों पर दिया जाना वाला डिवीडेंड टैक्स फ्री है। इसकी भी एक लिमिट है। 10 लाख रुपए तक के डिवीडेंड पर कोई टैक्स नहीं लगता है।

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