30 जनवरी तक कानून में बदलाव का अंतिम मौका

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को प्रदेश में बूचड़खाने स्थापित करने में आ रही कानूनी अड़चनें दूर करने का 30 जनवरी 18 तक अंतिम मौका देते हुए कहा है कि सरकार अध्यादेश जारी कर पशु वध की व्यवस्था करे अन्यथा कोर्ट याचिकाओं की सुनवाई कर आदेश पारित करेगा। कोर्ट ने प्रदेश में वैध बूचड़ खाने बन्द करने व पशु बध की व्यवस्था न करने के सरकारी फैसले को अवैध पशु वध को बढ़ावा देने वाला करार दिया। सरकार ने अवैध के साथ वैध बूचड़खाने भी बन्द कर दिये हैं और माडर्न बूचड़खाने स्थापित नहीं किये गये हैं। जबकि केंद्र व राज्य सरकार ने इस मद में करोड़ों रुपये स्वीकृत किये। कोर्ट ने पूछा कि सरकार द्वारा भेजे गये धन का क्या किया गया।

सरकार कानून में करेगी बदलाव

गोरखपुर के दिलशाद अहमद व कई अन्य जिलों से दाखिल याचिकाओं की सुनवाई चीफ जस्टिस डीबी भोसले तथा जस्टिस सुनीत कुमार की खण्डपीठ कर रही है। अपर महाधिवक्ता मनीष गोयल ने कोर्ट को बताया कि राज्य सरकार ने कानून में बदलाव करने का फैसला लिया है। लखनऊ खण्डपीठ के 12 मई 17 के आदेश के बाद राज्य सरकार ने कानून में बदलाव करने का फैसला लिया है। लखनऊ खण्डपीठ के 12 मई 17 के आदेश के बाद राज्य सरकार ने 7 जुलाई 2017 के आदेश के बाद राज्य सरकार ने 7 जुलाई 2017 को स्थानीय निकायो द्वारा सरकारी निगरानी में मार्डन पशु वधशाला आबादी से बाहर स्थापित करने का शासनादेश जारी किया है। बूचड़खाने स्थानीय निकायों द्वारा स्थापित होंगे। इस आदेश को याचिकाओं में चुनौती नहीं दी गयी है। याची के वरिष्ठ अधिवक्ता बीएम जैदी, केके राय ने कोर्ट से अन्तरिम व्यवस्था करने का समादेश जारी करने की मांग की। इस पर कोर्ट ने कहा कि यदि सरकार कानून में बदलाव करती है तो याचिका की सुनवाई अर्थहीन हो जायेगी। इसलिए सरकार एक हफ्ते में निर्णय ले। सुनवाई 30 जनवरी को होगी।