हाई कोर्ट ने पशु वधशाला पर राज्य सरकार को नीति स्पष्ट करने को कहा

देश में कानून का शासन है। कानून की अनदेखी पर कोर्ट अपनी आंखें बंद नहीं रख सकती। जिले में कानून के मुताबिक पशु वधशाला होनी चाहिए। महाधिवक्ता के इस तर्क को कोर्ट ने मानने से इन्कार कर दिया कि वधशाला के लिए जमीन अभी उपलब्ध नहीं है और जमीन तय होते ही निर्माण शुरू किया जाएगा। कोर्ट ने कहा कि वधशाला स्थापित कपना राज्य सरकार का वैधानिक दायित्व है। वह अपने इस दायित्व को निभाने से मुकर नहीं सकती।

चीफ जस्टिस की बेंच कर रही सुनवाई

चीफ जस्टिस डीबी भोसले और जस्टिस एमके गुप्ता की खण्डपीठ ने गोरखपुर के दिलशाद अहमद व 120 अन्य की याचिका की सुनवाई करते हुए यह तल्ख टिप्पणी की। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने मुख्यमंत्री के गृह नगर गोरखपुर में पशु वधशाला बनाने की मांग को लेकर दाखिल जनहित याचिका पर कोर्ट ने राज्य सरकार की धीमी कार्यवाही व स्पष्ट नीति न होने पर नाराजगी व्यक्त की और महाधिवक्ता राघवेंद्र सिंह को दो दिन में राज्य की वधशाला के संबंध में नीति स्पष्ट करने को कहा है। याचिका की अगली सुनवाई 13 जुलाई को होगी।

बंद करा दिए गए अवैध बूचड़खाने

बता दें कि प्रदेश में सत्ता में आने के बाद नई सरकार ने अवैध बूचड़खानों को बंद करने का निर्णय लिया। इसके तहत पशुओं की वधशालाएं लाइसेंस न होने के कारण बंद कर दी गई। पिछली सरकारों ने अवैध बूचड़खानों का निर्माण भी नहीं कराया। वर्तमान सरकार द्वारा अवैध बूचड़खाने बंद करने के बाद सरकारी बूचड़खाना न होने से उत्पन्न समस्याओं को लेकर याचिका दाखिल की गई है। सुनवाई के दौरान जिलाधिकारी, एसएसपी व नगर आयुक्त गोरखपुर मौजूद थे।