आत्महत्याएं रोकने को आधार बनाकर दाखिल की गई याचिका हाई कोर्ट ने खारिज की

कोर्ट ने कहा, यमुना पुल पर नहीं डाला जा सकता लोड

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने नैनी को जोड़ने वाले यमुना पुल के दोनों तरफ फेंसिंग लगाकर आत्महत्या की घटनाओं पर अंकुश लगाने की मांग में दाखिल याचिका पर हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि याची की मांग प्रशंसनीय है, किंतु विशेषज्ञों की राय में पुल पर अधिक लोड नहीं डाला जा सकता। यदि फेंसिंग की गयी तो तेज आंधी चलने पर पुल के लिए खतरा हो सकता है।

यह आदेश जस्टिस वीके शुक्ल तथा जस्टिस एमसी त्रिपाठी की खंडपीठ ने हेल्प केयर फाउंडेशन की जनहित याचिका को खारिज करते हुए दिया है। याचिका में भारत सरकार के सड़क परिवहन मंत्रालय व राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण को यमुना ब्रिज पर फेंसिंग लगाने का निर्देश जारी करने की मांग की गयी थी। याची का कहना था कि फेंसिंग न होने से जीवन से हताश युवा पुल से यमुना में कूदकर आत्महत्या कर रहे हैं। अथॉरिटी की तरफ से अधिवक्ता प्रांजल मेहरोत्रा ने कोर्ट को बताया कि विशेष मोबाइल निरीक्षण यूनिट की रिपोर्ट है कि फेंसिंग लगाने से पुल पर लगी केबल की सही देखभाल नहीं हो सकेगी तथा इससे पुल पर अतिरिक्त भार पड़ेगा तथा फुटवे लाइव रोड पर 500 किग्रा से अधिक लोड नहीं डाला जा सकता। याचिका पर अधिवक्ता वेद प्रकाश मिश्र ने बहस किया। कोर्ट ने कहा कि विशेषज्ञ टीम ने फेंसिंग न लगाने का वैध कारण दिया है ऐसे में हस्तक्षेप का कोई आधार नहीं है।