हाईकोर्ट, कैट व रेलवे अधिवक्ता पैनल रद

हाईकोर्ट का आदेश दो माह में नए सिरे से बनाएं पैनल

ALLAHABAD: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हाईकोर्ट व कैट के रेलवे अधिवक्ता पैनल को अवैध करार देते हुए रद कर दिया है और रेलवे को दो माह में नए सिरे से पैनल विहित प्रक्रिया के तहत बनाने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने कहा है कि पैनल तैयार करने में पारदर्शिता बरतते हुए योग्य व अनुभवी वकीलों को रखा जाए, ताकि वे कोर्ट में रेलवे का प्रभावी पक्ष रख सके। कोर्ट ने रेलवे को न्यूनतम अनुभव अवधि तय कर जरूरत के मुताबिक ही पैनल में अधिवक्ताओं को शामिल किया जाए तथा ऐसे अधिवक्ता हाईकोर्ट के एडवोकेट रोल में दर्ज होने चाहिए।

यह आदेश न्यायमूर्ति अरुण टंडन तथा न्यायमूर्ति संगीता चंद्रा की खंडपीठ ने वरिष्ठ अधिवक्ता एके गौड़ व अन्य की याचिका को स्वीकार करते हुए दिया है। कोर्ट ने कहा है कि जोनल रेलवे को इंटरैक्शन के आधार पर 1985 के मंत्रालय के सर्कुलर के तहत डेढ़ गुना अधिक नाम रेलवे बोर्ड को भेजना चाहिए और बोर्ड इस सूची में से जरूरत के मुताबिक अधिवक्ता पैनल गठित करेगा। कोर्ट ने कहा है कि रेलवे बोर्ड को सूची को अस्वीकार कर अपनी मर्जी से पैनल गठित करने का अधिकार नहीं है।

कोर्ट ने जोनल रेलवे को आदेश दिया है कि वह बार एसोसिएशन में सूचना देकर अधिवक्ताओं के आवेदन लेकर इंटरैक्शन कर योग्यता व अनुभव के आधार पर सूची बनाए और रेलवे बोर्ड को भेजे। सभी प्राप्त आवेदन एक रजिस्टर में दर्ज किया जाए तथा सुरक्षित रखा जाए। सूची में शामिल अधिवक्ताओं का सत्यापन बार कौंसिल से कराया जाए। पुराने वकीलों का परफार्मेस देखकर नवीनीकृत किया जाए। उन्हीं वकीलों को हटाया जाए जिनका परफार्मेस खराब हो। सभी पैनल अधिवक्ताओं में काम का समान वितरण हो। इसका रोस्टर तैयार किया जाए। जितने वकीलों की मुकदमों की संख्या के अनुपात में जरूरत है उतने ही वकील रखे जाएं।