हाईकोर्ट ने अवैध निर्माण व अतिक्रमण हटाने की जगह वेंडरों को हटाने पर सरकार व नगर निगम से मांगा जवाब

14 को कोर्ट में फिर होगी सुनवाई

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने सिविल लाइन्स एरिया इलाहाबाद की रोड पटरी से स्ट्रीट वेन्डरों को हटाने के खिलाफ याचिका पर राज्य सरकार, नगर निगम व एडीए से विस्तृत नीति व ब्योरे के साथ जवाबी हलफनामा मांगा है। कोर्ट ने कहा है कि हाई कोर्ट ने सड़क पटरी से अतिक्रमण व अवैध निर्माण हटाने का निर्देश दिया है। वेन्डरों को हटाने का आदेश नहीं दिया है तो वेन्डरों को क्यों हटाया जा रहा है। याचिका की सुनवाई 14 जून को होगी।

स्ट्रीट वेंडर नियमावली का पालन नहीं

यह आदेश जस्टिस कृष्ण मुरारी तथा जस्टिस एसडी सिंह की खण्डपीठ ने रेखा सिंह की याचिका पर दिया है। याची का कहना है कि सरकार ने स्ट्रीट वेन्डरों के लिए नियमावली बना ली है और उसका पालन नहीं किया जा रहा है। नगर निगम के अधिवक्ता अजीत कुमार सिंह ने बताया कि पूरे इलाहाबाद शहर में 12200 वेंडर हैं। नियमावली के तहत 40 सदस्यीय कमेटी गठित करने के साथ आपत्ति दर्ज करने की प्रक्रिया शुरू की गई है। कमेटी में 40 फीसदी सदस्य वेन्डर होंगे। कमेटी वेंडिंग जोन के लिए स्थल निर्धारण करेगी। 15 जुलाई 17 तक कमेटी गठित हो जाएगी। सितम्बर तक स्थल चिन्हांकन के बाद स्ट्रीट वेन्डरों को नवम्बर 2017 तक आवंटन कर दिया जाएगा।

लाइसेंस देने के बाद ही हटाएं

अपर मुख्य स्थायी अधिवक्ता वाईके श्रीवास्तव ने कहा कि नेशनल पॉलिसी है। स्ट्रीट वेन्डर अस्थायी दुकान लगा सकते हैं। इन्हें स्थायी निर्माण की अनुमति नहीं है। याची का कहना था कि जब तक स्ट्रीट वेन्डरों को लाइसेंस नहीं दे दिए जाते तब तक उन्हें हटाया न जाए। कोर्ट ने राज्य सरकार व नगर निगम से पूरा ब्योरा देते हुए हलफनामा दाखिल करने का आदेश दिया है।