हाई कोर्ट ने स्टेट बैंक की मृतक आश्रित की नियुक्ति आयु में भिन्नता की नीति वैध करार दिया

विधवा एक अलग क्लास है। इस क्लास के लिए भिन्न आयु सीमा रखने से संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन नहीं होता। सरकार या राज्य समाज के भिन्न वर्गो में अलग-अलग नीति अपना सकती है। कोर्ट ने विधवा को 40 साल व अन्य को 37 साल तक ही आश्रित कोटे में नियुक्ति नीति की वैधता पर एकलपीठ के फैसले को सही माना और फैसले के खिलाफ विशेष अपील खारिज कर दी।

विधवा को 40 अन्य को 37 साल तक मौका

यह आदेश जस्टिस अरुण टंडन तथा ऋतुराज अवस्थी की खण्डपीठ ने इटावा के प्रदीप कुमार निर्मल की अपील पर दिया है। बता दें कि स्टेट बैंक ऑफ इंडिया ने मृतक आश्रित कोटे में नियुक्ति के लिए विधवा की आयु 40 वर्ष व अन्य की 37 वर्ष रखने की नीति बना रखी है। इस नीति को इस आधार पर चुनौती दी गई थी कि इससे संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन होता है। याची के पिता स्टेट बैंक कर्मी थे। सुरक्षा गार्ड द्वारा चली गोली से सेवा के दौरान उनकी मौत हो गयी। याची ने आश्रित कोटे में नियुक्ति की अर्जी दी। बैंक ने यह कहते हुए नियुक्ति देने से इंकार कर दिया कि याची ओवरएज हो गया है। इस पर मृतक की विधवा व अन्य आश्रितों की आयु सीमा में छूट के बाद अधिकतम आयु में अन्तर होने की वैधता को चुनौती दी गई। कोर्ट ने बैंक नीति को विभेदकारी नहीं माना और याचिका खारिज कर दी। जिसे विशेष अपील में चुनौती दी गयी थी।