इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आपराधिक मुकदमे की जानकारी छिपाकर नौकरी कर रहे सीआरपीएफ के कांस्टेबल ड्राइवर की बर्खास्तगी आदेश पर हस्तक्षेप से इंकार करते हुए याचिका खारिज कर दी है।

यह आदेश जस्टिस वीके बिड़ला ने रफीक अली की याचिका पर दिया है। याचिका पर अधिवक्ता साधुशरण व भारत सरकार के अधिवक्ता वीकेएस रघुवंसी ने बहस की। याची सीआरपीएफ में चयनित हुआ। प्रशिक्षण के बाद तैनाती आदेश जारी हुआ। शिकायत की गयी कि 1996 में याची के खिलाफ आपराधिक मुकदमा दुर्ग में कायम हुआ जिसमें उसे गिरफ्तार भी किया गया। पुलिस चार्जसीट दाखिल हुई। सन्देह का लाभ देते हुए कोर्ट से बरी कर दिया गया। याची ने घोषणापत्र में इस तथ्य को छिपाया। झूठी जानकारी दी कि उसके खिलाफ कोई आपराधिक केस नही है। इस मामले की जांच की गयी और आरोपो की पुष्टि हुई। झूठी घोषणा के आरोप में सेवा से हटाने का आदेश हुआ। विभागीय अपील, रिवीजन भी खारिज हो गयी। जिस पर यह याचिका दाखिल की गयी थी।