बंटवारे के समय मिली जमीन पर हुआ निर्माण ढहाने पर रोक से हाई कोर्ट का इंकार

देश के बंटवारे के समय रिफ्यूजी हो गये दो दर्जन से अधिक परिवार एक बार फिर रिफ्यूजी हो जाएंगे। इस बार उन्हें हटाया जाएगा शहर की सड़कों के चौड़ीकरण के चलते। अगले साल कुंभ मेले को देखते हुए सड़क चौड़ीकरण के दायरे में लीडर रोड पर बसी रिफ्यूजी की करीब दो दर्जन दुकानें भी आ गयी हैं। नगर निगम से इसे हटाने का आदेश दिया तो हाई कोर्ट ने भी बुधवार को राहत न देते हुए इस पर मुहर लगा दी। कोर्ट ने नगर निगम को दो महीने में वैकल्पिक स्थान या मुआवजा तय करके भुगतान करने का आदेश दिया है। यह आदेश चीफ जस्टिस डीबी भोसले तथा जस्टिस सुनीत कुमार की खंण्डपीठ ने ज्योति केशरवानी सहित दर्जनों दुकानदारों की याचिका पर दिया है।

बंटवारे के बाद बसाए गए थे

लीडर रोड पर सड़क पटरी पर 1960 से पहले से रिफ्यूजियों की दुकानें बनी हैं। वर्तमान समय में अगले साल लगने वाले कुम्भ की तैयारी के चलते शहर की सड़कों का चौड़ीकरण हाई कोर्ट के आदेश पर किया जा रहा है। नगर निगम के अधिवक्ता एसडी कौटिल्य ने बताया कि हाई कोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट ने सही माना है। देश के बंटवारे के समय पुनर्वास मंत्रालय ने रिफ्यूजियों को जीविका चलाने के लिए रेलवे स्टेशन के सामने रोड पटरी व नाले के ऊपर दूकान आवंटित की। मूल आवंटियों से याचियों ने दूकानों का बैनामा लिया है। नगर निगम कानून के तहत पुनर्वास या मुआवजा देने की कार्यवाही कर रहा है। कोर्ट ने कहा कि सरकार को कोई भी जमीन कानूनी प्रक्रिया से लेने का अधिकार है। भवन या जमीन स्वामी को वैकल्पिक स्थान या मुआवजा पाने का हक है। सरकार सड़क के लिए जरूरत पड़ने पर जमीन ले सकती है। यदि कब्जेदार अपना अधिकार सिद्ध कर लेते हैं तो उन्हें मुआवजा पाने का हक है।