- डीएम, सीडीओ और प्रमुख सचिव वित्त के खिलाफ जारी हुआ था गैर जमानती वारंट

- हाईकोर्ट ने आदेशों का समय से पालन कराने के लिए मुख्य सचिव को दिए निर्देश

BAREILLY:

डोहरा रोड स्थित एक स्कूल में विधायक निधि दुरुपयोग के मामले पर हाईकोर्ट की अवमानना में फंसे आला अफसरों की ट्यूजडे को पेशी के दौरान सांसे अटकी रही। फैसले की घड़ी आते ही उनकी धड़कनें बढ़ गई। लेकिन अफसरों के माफी मांगने के बाद न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल व न्यायमूर्ति इरशाद अली की खंडपीठ ने उनके गैर जमानती वारंट तो वापस ले लिए लेकिन भविष्य में सर्तक रहकर ऐसी गलती दोबारा नहीं करने के लिए सख्त चेतावनी दी है।

बीडीओ को सस्पेंड करने के निर्देश

हाईकोर्ट ने तत्कालीन बीडीओ अनुज कुमार को राहत नहीं दी है। हाईकोर्ट ने बीडीओ के निलंबन और विभागीय कार्यवाही का आदेश दिया है। साथ ही, याचिकाओं में जवाबी हलफनामा आने में देरी के कारण सुनवाई में हो रहे व्यवधान रोकने के लिए सभी विभागों को निर्देश जारी करने के लिए मुख्य सचिव को आदेश दिए हैं। ट्यूजडे को हाईकोर्ट में मामले की सुनवाई में डीएम, सीडीओ, पीडी की पेशी हुई। कोर्ट ने जारी वारंट को तामील न करने पर भी तीखी टिप्पणी करते हुए कहा कि अधिकारियों को जमानत कराकर आना चाहिए था। फिलहाल कोर्ट ने अधिकारियों को माफ करते हुए चेतावनी के साथ भविष्य में सतर्क रहने का आदेश दिया है।

चार को फैसला रखा था सुरक्षित

चार जनवरी को अफसरों की हाईकोर्ट में पेशी हुई थी। जहां डीएम ने कोर्ट से कहा कि उन्हें आदेशों की सूचना नहीं मिली। 2016 में ही हलफनामा दाखिल करने को बीडीओ अनुज कुमार को भेजा था। उन्होंने दाखिल नहीं किया। लापरवाही पर उसे व वाद लिपिक संतोष कृष्ण आशुधीर को निलंबित कर दिया है। तत्कालीन पीडी साहित्य प्रकाश मिश्र के खिलाफ आरोप पत्र जारी करते हुए विभागीय कार्रवाई की संस्तुति शासन को भेज दी है। यह बयान देकर डीएम ने हाईकोर्ट में माफी मांगी थी। हाईकोर्ट ने प्रत्येक बिंदु पर फैसला सुनाने का निर्णय लिया था। 23 को फैसला सुनाते समय तीनों आला अफसरों को हाईकोर्ट में हाजिर रहने के आदेश दिए थे।