RANCHI : गुमला जिले के 35 बच्चों को नक्सलियों द्वारा उठा लिए जाने के मामले की शुक्रवार को चीफ जस्टिस वीरेंदर सिंह और जस्टिस पीपी भट्ट की बेंच में सुनवाई चली। अदालत ने इसे अत्यंत गंभीर बताते हुए डीजीपी को हर हाल में बच्चों को ढ़ूंढने का निर्देश दिया। अदालत ने डीजीपी से कई सवाल किए। उसने पूछा कहां गए बच्चे? कौन ले गया उन्हें? वे जिंदा हैं या मार दिए गए? यदि जिंदा हैं तो हर हाल में उचहें खोजा जाना चाहिए। भले ही इसके लिए सेना की ही मदद क्यों न लेनी पड़े। पुलिसिंग पर सवाल उठाते हुए अदालत ने कहा कि ये 38 गांव देश में ही हैं, किसी अन्य देश में तो नहीं। इन पर कानून का राज बहाल करने के लिए सिर्फ चलान नहीं, एक्शन चाहिए। अंधेरे को रोशनी में बदलने की आवश्यकता है। यह भी कहा कि यह राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा हुआ मामला है। इसमें किसी भी प्रकार की कोताही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। यह इतना गंभीर मामला है कि आवश्यक हुआ तो अदालत ग्रीष्मावकाश में भी बैठने को तैयार है। विदित हो कि बच्चों के लापता होने के मामले में आई मीडिया रिपोर्ट पर अदालत ने स्वत: संज्ञान लेते हुए केंद्र और राज्य सरकार को नोटिस जारी कर जवाब दायर करने को कहा था। अगली सुनवाई 18 जून को होगी।

तीन जिलों के 38 गांव पुलिस नियंत्रण से बाहर

प्रदेश के तीन जिलों गुमला, लातेहार और लोहरदगा के 38 गांव पुलिस के नियंत्रण से बाहर हैं। इस सच का खुलासा डीजीपी डीके पांडेय ने शुक्रवार को हाईकोर्ट में किया। वे नक्सलियों द्वारा बच्चों को उठा ले जाने के मामले में अदालत में तलब किए गए थे। उन्होंने कहा कि उक्त तीन जिलों के 38 गांवों में पहुंचना पुलिस के लिए आसान नहीं है।

डीजीपी पांडेय ने कहा कि करीब 40 वर्ग किमी। के क्षेत्र में नक्सलियों का स्पष्ट वर्चस्व है। अब तक पुलिस द्वारा चलाए जा रहे अभियान में लापता छह बच्चों को वापस लाया गया है, जबकि 29 बच्चे अब भी उसी दस्ते के कब्जे में हैं। सरकार के पास ऐसे मामलों से निपटने के लिए एक्शन चलान है। इस दिशा में काम किया जा रहा है।

90 करोड़ का दें हिसाब

अदालत ने डीजीपी से उक्त तीन जिलों को आईएपी के तहत दिए गए नब्बे करोड़ रुपये का हर हाल में हिसाब मांगा। अदालत ने पूछा कि उन पैसों का क्या हुआ? ऐसा लगता है मानो केंद्र से मिले पैसों को राज्य सरकार सही तरीके से खर्च नहीं कर रही है। अदालत ने केंद्र सरकार को भी अब राज्य को मिले पैसे को पूरा हिसाब देने को कहा है। अदालत ने राज्य और केंद्र सरकार को विस्तृत जवाबी हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया।

सही रिपोर्ट करता है मीडिया

मामले की सुनवाई के दौरान नए महाधिवक्ता विनोद पोद्दार और अपर महाचिावक्ता अजित कुमार ने अदालत से कहा कि अदालती कार्यवाही में जो आदेश नहीं लिया जाता, मीडिया में कई बार वह भी खबर के रूप में आ जाता है। ऐसा नहीं होना चाहिए। इस पर रोक लगाई जानी चाहिए। अदालत ने किसी भी प्रकार की रोक लगाने से इंकार करते हुए कहा कि इस मामले की सुनवाई भी तभी हो रही है, जब ऐसी खबर मीडिया में आई। मीडिया सही जानकारी देता है।