- महीने बाद भी बीएसईबी ने नहीं दिया आरटीआई का जवाब

PATNA: बिहार स्कूल एग्जामिनेशन बोर्ड का एक और मामला सामने आया है। बोर्ड की इस लापरवाही के कारण स्टूडेंट को इंजीनियरिंग में बेहतर कॉलेज नहीं मिला है। स्टूडेंट जेईई मेन परीक्षा पास कर ली है। स्टूडेंट के पैरेंट्स का कहना है कि सही से कांपी की जांच की जाती तो इसका मा‌र्क्स बेहतर होता और अच्छे कॉलेज भी मिलते। मालूम हो कि ख्0 मई को बिहार बोर्ड के इंटर साइंस का रिजल्ट आया था।

मा‌र्क्स देने में की गई लापरवाही

एएन कॉलेज के स्टूडेंट जितिन शरत ने इसी बार इंटर साइंस की परीक्षा पास की है। उसका रोल कोड क्क्008 और रोल नंबर क्0ब्म्0 है। रिजल्ट निकलने के दूसरे दिन ही जितिन ने बिहार बोर्ड में आरटीआई फाइल किया। आरटीआई के तहत जितिन ने इंगलिश, फिजिक्स, केमेस्ट्री और मैथ के आंसर सीट और टॉप टेन में आए स्टूडेंट्स के आंसर सीट की कांपी भी मांगी थी। ज्ञात हो कि आरटीआई में प्रावधान है कि अगर मामला अर्जेट है तो लोक सूचना अधिकारी ब्8 घंटे के अंदर जवाब दे सकते हैं। लेकिन आरटीआई नियमों की अनदेखी कर माह बाद भी जवाब नहीं दिया गया।

परिजन पहुंचे कोर्ट की शरण में

जितिन के परिजन बोर्ड का चक्कर लगाकर परेशान हो गए। उन्हें शक था कि जितिन के कांपी के साथ न्याय नहीं किया गया है। कई तर्क भी दिए उन्होंने दिए। जैसे भ्0 नंबर के अंग्रेजी में जितिन को ब्0 नंबर आया और क्00 नंबर के अंग्रेजी में मात्र म्0 नंबर ही मिला। इसी तरह पैरेंट्स को फिजिक्स, मैथ और केमेस्ट्री के मा‌र्क्स को लेकर भी संदेह है। इसी कारण उन्होंने आरटीआई फाइल किया। लेकिन जब बोर्ड के लोक सूचना पदाधिकारी ने कोई जवाब नहीं दिया तब जाकर परिजन कोर्ट की शरण में पहुंचे।

कोर्ट ने कहा दो हप्ते में दें जवाब

परिजन ख्0 जुलाई को कोर्ट की शरण में गए। मंगलवार को मामले की सुनवाई हुई। पूरे मामले को गंभीरता से लेते हुए जस्टिस एके त्रिपाठी ने काउंसिल को दो हप्ते के अंदर शपथ पत्र दाखिल करने को कहा है। कोर्ट ने काउंसिल के रवैये पर नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि दो हप्ते के अंदर काउंसिल यह भी जवाब दे कि उसने अबतक मांगी गई सूचना क्यों नहंी उपलब्ध कराई। जितिन के पिता शरतचंद्र सिन्हा ने कहा कि मेरे बेटे को हर सब्जेक्ट में कम मा‌र्क्स दिया गया है। अगर समय से सारी कांपियां दी गई होती तो अबतक मामला साफ हो गया होता। उन्होंने कहा कि मेरे बेटे को बोर्ड की गलतियों का खामियाजा भुगतना पड़ा है जिस कारण उसे अच्छे कॉलेज नहीं मिल पाएंगे।