- उत्तराखंड में किसानों द्वारा आत्महत्या करने का मामला

- केंद्र, राज्य सरकार व आरबीआई को 3 हफ्ते में देना होगा जवाब

NAINITAL: हाई कोर्ट ने बैंक ऋण के बोझ तले दबे किसानों के आत्महत्या करने के मामले में गंभीर रुख अपनाया है। कोर्ट ने केंद्र व राज्य सरकार के साथ ही भारतीय रिजर्व बैंक को तीन सप्ताह में जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए हैं।

जनहित याचिका पर सुनवाई

ऊधमसिंह नगर के शांतिपुरी निवासी किसान नेता डॉ। गणेश उपाध्याय ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की, कहा कि किसान बैंक ऋणों के ज्यादा होने के चलते आत्महत्या के लिए मजबूर हो रहे हैं। जून से सितंबर तक सात किसान आत्महत्या कर चुके हैं। याचिका में कहा गया कि बैंकों की कृषि ऋण की ब्याज दरें इतनी ज्यादा हैं कि किसान ऋण चुकाने के लिए साहूकारों से लोन ले रहे हैं। जबकि, सरकार फसल का भुगतान दस-दस माह तक नहीं करती। बताया कि सरकार ने ऊधमसिंह नगर जिले से खरीदे गए धान की करीब 7भ् करोड़ की रकम का दस माह बाद भी किसानों को भुगतान नहीं किया। सवाल उठाया कि 7भ् करोड़ का बैंक ब्याज पांच करोड़ हो चुका है, यह किसकी जेब में जा रहा है। याचिका में यह भी कहा गया है कि ख्007 में पॉपुलर का रेट क्0भ्0 रुपये कुंतल था जो अब घटकर फ्भ्0 रुपये हो गया है, जबकि बाजार दरें तीन गुना बढ़ गई हैं। इसका लाभ किसान के बजाय सरकार को हो रहा है। किसानों के समय पर किश्त नहीं देने की वजह से बैंक उन्हें नोटिस थमा रहे हैं, परिणामस्वरूप किसान आत्महत्या कर रहे हैं। यह भी बताया गया कि अब तक प्रदेश में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना को राज्य में लागू नहीं किया गया है। याचिकाकर्ता ने पीएम फसल बीमा योजना लागू करने की मांग करते हुए कहा कि दो प्रतिशत खरीफ, डेढ़ प्रतिशत रबी और अन्य व्यावसायिक फसलों पर पांच प्रतिशत ब्याज दर पर ऋण दिया जाना चाहिए। चीफ जस्टिस न्यायमूर्ति केएम जोसफ व न्यायमूर्ति आलोक सिंह की खंडपीठ ने बुधवार को मामला सुनने के बाद केंद्र, राज्य सरकार व आरबीआई का जवाब तलब किया है।

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आत्महत्या के मामले

क्म् जून को पिथौरागढ़ में एक किसान ने कर्ज से परेशान होकर आत्महत्या कर ली थी। इसके बाद ख्ब् जून को खटीमा (ऊधमसिंह नगर), क्ख् जुलाई को बाजपुर (ऊधमसिंह नगर) और सात अगस्त को काशीपुर(ऊधमसिंह नगर) के किसान ने कर्जे को लेकर अपनी जान दे दी थी।