मंगलवार को दिन भर चले राहत और बचाव अभियान में केवल एक शव बरामद हुआ है. ऐसे में छात्रों के माता-पिता ने आरोप लगाया है कि हिमाचल प्रदेश सरकार आपात स्थिति से निपटने में तेज़ी नहीं दिखा रही है.

हिमाचल प्रदेश घूमने गए हैदराबाद के 24 छात्र अचानक बांध से पानी छोड़े जाने के कारण बह गए थे. इनमें से अब तक कुल पांच शव बरामद किए जा चुके हैं.

मंडी में स्थानीय पत्रकार अश्विनी शर्मा के अनुसार घटनास्थल का दौरा करने मंडी पहुंचे तेलंगाना के गृह मंत्री एन. नरसिम्हा रेड्डी ने कहा है कि वे प्रधानमंत्री से इस बारे में बात करेंगे ताकि यहां और बचाव सामग्री और बल भेजा जाए.

इसके अलावा आंध्र प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री भी वहां पहुँचे हुए हैं. हिमाचल प्रदेश के सड़क परिवहन मंत्री जेएस बाली भी अधिकारियों के साथ घटनास्थल पर गए.

गंदगी और गाद

बचाव कार्य में हो रही देरी का कारण नदी के पानी में भारी मात्रा में गाद और गंदगी का होना है. इसी वजह से गोताखोरों के लिए पानी के भीतर कुछ भी साफ़ देख पाना मुश्किल हो रहा है.

ब्यास हादसाः लापता छात्रों के परिजनों में भारी रोष

गोताखोरों का कहना है कि पानी के भीतर विजीबिलिटी कम होने के कारण उनके किसी पत्थर से टकराने या कीचड़ में फंसने और जान जाने का भी ख़तरा है.

अश्विनी शर्मा के अनुसार वैसे तो सूचना देने के लिए घटनास्थल पर दो मंत्रियों को तैनात किया गया है लेकिन माता-पिता की व्यथा ये है कि उन्हें अपने बच्चों की मौत की जानकारी मिलने के बाद उनके शव नहीं मिल पा रहे हैं.

इससे पहले स्थानीय पत्रकार कंवर योगेंद्र ने बताया कि मंगलवार सुबह देवाशीष बोष नाम के छात्र का शव ब्यास नदी से बरामद किया गया.

भावुक माहौल

इस बीच इस हादसे में ज़िंदा बचे 24 छात्र, एक अध्यापक और उनका एक बेटा और इस टूर की व्यवस्था करने वाली कंपनी के कुछ कर्मचारी सोमवार देर रात एक विशेष विमान से हैदराबाद पहुँचे.

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सेना के हेलीकॉप्टर में एक छात्र के शव को रखते लोग

इस हादसे में बचे  सुजन पनुगति ने बीबीसी को बताया कि जब उनका हवाई जहाज हवाई अड्डे पर उतरा, तो वहाँ लोगों की लोगों भीड़ लगी हुई थी. इनमें छात्र-छात्राओं के परिजन, मीडिया, प्रदेश सरकार के मंत्री, सरकार के अधिकारी, मीडिया और अन्य लोग थे और वहाँ का महौल काफी भावुक था.

रविवार देर शाम हैदराबाद के वीएनआर इंस्टीट्यूट ऑफ़ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी के 24 छात्र ब्यास नदी में बह गए थे. हादसा समय हुआ था जब  लारजी पनबिजली परियोजना के बांध से बिना किसी पूर्व सूचना के पानी नदी में छोड़ दिया गया था.

इससे नदी के पानी का जलस्तर अचानक से बढ़ गया था और 24 छात्र उसमें बह गए थे.

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