-'हिन्दी-काव्य में बिहार का योगदान' विषय पर साहित्य सम्मेलन में विचार-गोष्ठी

PATNA: हिन्दी काव्य को समृद्ध करने में बिहार के कवियों का महनीय योगदान है। भक्ति-काल से लेकर आधुनिक काल तक इसकी एक विशाल और लंबी परंपरा है। बिहार की हिन्दी काव्य-परंपरा में 'नकेन वाद' या 'प्रवद्य-वाद' सर्वाधिक आधुनिक काव्य-वाद है। आचार्य नलिन विलोचन शर्मा, आचार्य केसरी कुमार एवं श्री नरेश के नामों के आद्याक्षरों से बने इस भाषा-प्रधान नव्य वाद पर अध्ययन और अनुशीलन अभी शेष है। यह विचार बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन की ओर से आयोजित हिन्दी पखवारा-सह-पुस्तक चौदस-मेला के तीसरे दिन 'हिन्दी-काव्य में बिहार का योगदान' विषय पर, आयोजित संगोष्ठी में अपना व्याख्यान प्रस्तुत करते हुए सम्मेलन के प्रधानमंत्री आचार्य श्रीरंजन सूरिदेव ने व्यक्त किये। पटना यूनिवर्सिटी हिन्दी विभाग के पूर्व प्राध्यापक डा शंकर प्रसाद ने पुराने और नये कवियों की विस्तृत चर्चा करते हुए, डा कुमार विमल को विशेष रूप से स्मरण किया तथा काव्य-शास्त्र में उनके सौंदर्य-बोध तथा उनके योगदान को रेखांकित किया। उन्होंने आधुनिक कवियों में, काशीनाथ पाण्डेय और राज कमल चौधरी के साथ-साथ दो प्रतिभाशाली कवयित्रियों कुमारी राधा और प्रो अनामिका के अवदानों की भी चर्चा की।

योगदान को महत्व मिलना चाहिए

सम्मेलन अध्यक्ष डा अनिल सुलभ ने कहा कि, हिन्दी काव्य में बिहार के कवियों के योगदान को हटा दिया जाए, तो हिन्दी काव्य का घड़ा बहुत हीं खाली मिले गाय अपनी दिव्य-कवित्त-शक्ति से संसार को विमुग्ध करने वाले कवियों में अनेक बिहार की रत्‍‌न-गर्भा भूमि के गौरव हैं। विद्यापति, दिनकर, प्रभात, वियोगी, केसरी, नेपाली, आरसी, रामदयाल पाण्डेय, जानकी बल्लभ शास्त्री, छविनाथ पाण्डेय, द्विज, नागार्जुन, कुमार विमल, काशीनाथ पाण्डेय, लालधुआँ, मार्कण्डेय प्रवासी आदि ऐसे कवि हैं जिन्हें हिन्दी-काव्य-संसार ने अपने अनमोल रत्‍‌न माना है। नयी पीढी में गोपी बल्लभ सहाय, सत्यनारायण, मृत्यंजय मिश्र 'करुणेश', नचिकेता, आलोक धन्वा, अरुण कमल आदि अनेक नाम हैं, जिनके योगदान को महत्व मिलना चाहिए। संगोष्ठी में तिलक राज गांधी, पं शिवदत्त मिश्र, ज्ञानेश्वर शर्मा, प्रेमनाथ पाण्डेय, बच्चा ठाकुर, राज कुमार प्रेमी, आचार्य आनंद किशोर शास्त्री, डा विनय कुमार विष्णूपुरी, शंकर शरण मधुकर, कृष्ण कन्हैया, श्याम बिहारी प्रभाकर, आरपी घायल, आशिष भारती, डा विजय कुमार सिन्हा, चंद्रशेखर आज़ाद, विश्वमोहन चौधरी संत, आर प्रवेश, गौरव अग्रवाल, नरेन्द्र देव, रमेश मिश्र तथा अजय कुमार ने अपने विचार व्यक्त किये। संचालन योगेन्द्र प्रसाद मिश्र ने तथा धन्यवाद-ज्ञापन प्रबंधमंत्री कृष्ण रंजन सिंह ने किया।