LUCKNOW :

केस: 1

जगह: दूधली, सहारनपुर

क्षेत्र के सांसद राघव लखनपाल शर्मा के नेतृत्व में बीती 20 अप्रैल को अंबेडकर शोभा यात्रा निकालने का प्लान था। पहले तो प्रशासन ने इसकी अनुमति नहीं दी लेकिन, दो घंटे तक चली वार्ता के बाद तय हुआ कि दूधली गांव के बाहर से शोभायात्रा निकाली जाएगी। शोभा यात्रा शुरू हुई तो उसे गांव में प्रवेश दे दिया गया। इससे नाराज दूसरे समुदाय के लोगों ने शोभायात्रा पर पथराव कर दिया। पथराव में चार भाजपा कार्यकर्ता घायल हो गए। बवाल की सूचना मिलने पर पहुंचे डीएम एमएस कमाल और एसएसपी लवकुमार ने नाराज कार्यकर्ताओं को समझाने की कोशिश की। पुलिस ने घायलों को हॉस्पिटल पहुंचाया। लेकिन, थोड़ी देर बाद फिर से पथराव शुरू हो गया। सड़क दूधली गांव के भीतर व हाइवे स्थित दुकानों में जमकर तोड़फो ड़की गई। दोबारा पथराव होते ही डीएम व एसएसपी के मौके से भाग जाने से नाराज सांसद के समर्थकों ने एसएसपी आवास में जमकर पथराव किया और तोड़फोड़ की। इस घटना में अब तक पांच एफआईआर दर्ज की जा चुकी हैं।

केस: 2

जगह: फतेहपुर सीकरी, आगरा

थाना फतेहपुर सीकरी में हिंदूवादी संगठनों के पांच लोगों के खिलाफ नामजद एफआईआर दर्ज की गई। इन सभी को पकड़कर पुलिस थाने ले आई। इसकी सूचना मिलने पर हिंदूवादी संगठनों के सैकड़ों लोग थाना फतेहपुर सीकरी जा पहुंचे और अरेस्ट किये गए साथियों को छुड़ाने की कोशिश की। इस दौरान कार्यकर्ताओं व पुलिस के बीच नोकझोक हो गई। इसे देखते हुए पांचों आरोपियों को आगरा के थाना सदर ले जाया गया। इन हिंदुवादियों को छुड़ाने के लिए विश्व हिंदू परिषद, बजरंग दल समेत तमाम संगठन के लोग थाना सदर पहुंच गए। हिंदूवादी संगठन के लोगों ने पुलिस पर नामजद हिंदूवादियों को छुड़ाने का दबाव बनाया। कई घंटे वहां नारेबाजी और प्रदर्शन चलता रहा। काफी देर तक चले प्रदर्शन के दौरान प्रदर्शनकारियों ने अरेस्ट कार्यकर्ताओं को हवालात से निकालने की भी कोशिश की। आरोप है कि हवालात पर पहरे पर तैनात सिपाही की राइफल भी लूटने की कोशिश की गई। प्रदर्शनकारियों ने पुलिस पर हमला बोलते हुए पथराव शुरू कर दिया। पुलिस ने भी प्रदर्शनकारियों पर जमकर लाठियां भांजी। काफी देर तक इलाके में तनाव का माहौल बना रहा। जिसके बाद पुलिस ने 500 अज्ञात प्रदर्शनकारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर ली।

केस: 3

जगह: जौतना, आगरा

बीती 20 अप्रैल को तेहरा जौतना इलाके में सब्जी व्यापारी फूल कुरैशी और रिजवान के साथ कुछ युवकों ने मारपीट की। इसके बाद पुलिस ने 9 लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया। इसी को लेकर हिंदूवादी संगठनों में आक्रोश फैल गया। लोगों के गुस्से का कारण यह रहा कि पुलिस ने कुछ ऐसे लोगों को भी इस मामले में नामजद किया जो घटना के वक्त मौजूद ही नहीं थे। इसी के विरोध में 22 अप्रैल को बजरंग दल और अन्य हिंदूवादी संगठनों ने थाने का घेराव किया। बताया जा रहा है कि इसी दौरान लोगों और पुलिस के बीच हाथापाई हो गई। जिसके बाद पुलिस ने लाठीचार्ज कर दिया। लाठीचार्ज के विरोध में देररात तक बवाल चलता रहा। कई जगह तोड़फोड़ और आगजनी की भी खबरें आई। पुलिस ने उपद्रवियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर ली।

यह तीन मामले तो महज बानगी भर हैं, योगी सरकार बनने के बाद से अब तक प्रदेश भर में एक दर्जन से ज्यादा जगहों पर हिंदू संगठनों के कार्यकर्ताओं व पुलिस के बीच संघर्ष की खबरें आ चुकी हैं। सपा कार्यकर्ताओं के कथित गुंडाराज को मुद्दा बनाकर सत्ता में आई योगी सरकार के लिये अब यही हिंदू संगठन मुसीबत का सबब बनते जा रहे हैं। खुद सीएम योगी और नये डीजीपी सुलखान सिंह ने कानून का राज स्थापित करने और उपद्रवियों से सख्ती से निपटने की घोषणा तो की है लेकिन, अब उनके अपने ही उनकी घोषणा को ताक पर रखने पर आमादा हो गए हैं। विपक्ष के लगातार बढ़ते दबाव और मीडिया में इन घटनाओं के सुर्खियां बनने से बीजेपी के मिशन 2019 की तैयारियों में पलीता लगता दिखाई पड़ रहा है।

बिगड़ी प्रशासनिक व्यवस्था है जिम्मेदार

बीजेपी के प्रदेश प्रवक्ता राकेश त्रिपाठी इन सभी घटनाओं के लिये पूर्व सरकार द्वारा तैनात किये गए अधिकारियों को जिम्मेदार मानते हैं, जो अब तक बदलाव को मानने को तैयार नहीं हैं। उन्होंने बताया कि सहारनपुर में शांतिपूर्ण ढंग से सांसद राघव लखनपाल के नेतृत्व में शोभा यात्रा निकाली जा रही थी। जिस पर खास समुदाय के लोगों ने पथराव कर दिया। मौके पर मौजूद पुलिसकर्मी पथराव को मूकदर्शक बने देखते रहे। वहीं, मौके पर पहुंचे डीएम व एसएसपी ने भी पथराव करने वाले उपद्रवियों के खिलाफ कोई एक्शन नहीं लिया। नतीजतन, नाराज कार्यकर्ताओं ने एसएसपी आवास पर उग्र प्रदर्शन किया। कार्यकर्ताओं के इस एक्शन को जायज नहीं ठहराया जा सकता लेकिन, सवाल उठता है कि आखिर यह स्थिति बनी ही क्यों। अगर समय रहते बीजेपी कार्यकर्ताओं पर हमला करने वाले उपद्रवियों पर कार्रवाई हो जाती तो यह स्थिति ही उत्पन्न न होती। श्री त्रिपाठी ने कहा कि जल्द ही बिगड़ी प्रशासनिक व्यवस्था को सरकार दुरुस्त करेगी और इस तरह की घटनाओं पर खुद ब खुद रोक लग जाएगी।

खुद को संविधान से बड़ा मान रहे हिंदू संगठन

प्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता द्विजेंद्र त्रिपाठी कहते हैं कि केंद्र व प्रदेश में बीजेपी की सरकार बनने के बाद बीजेपी व आरएसएस के अनुषांगिक संगठन खुद को संविधान से बड़ा समझ रहे हैं। उन्हें न कानून का डर है और न पुलिस का खौफ। इन संगठनों को सोचना चाहिये कि जनता ने उन्हें यह भारी बहुमत दिया है तो उनकी जिम्मेदारी बढ़ जाती है। लेकिन, यह तो उद्दंडता पर उतर आए हैं। इनके खिलाफ पुलिस की सख्त कार्रवाई न होना भी सरकार की मंशा को बताता है। पीएम नरेंद्र मोदी हों या फिर सीएम योगी आदित्यनाथ, दोनों ही नेता कार्यकर्ताओं को हद में रहने की सलाह दे चुके हैं। इसके बावजूद अगर इस पर रोक नहीं लग पा रही तो यह मान लेना चाहिये कि ऐसे उपद्रवियों के साथ उनकी मौन सहमति है।

उपद्रवियों पर लगे रासुका

तेजतर्रार आईपीएस अफसर रहे प्रदेश के पूर्व डीजीपी विक्रम सिंह कहते हैं कि पुलिस पर हमला बेहद निंदनीय है। सरकार चाहे जिसकी भी हो, पुलिस पर हमला करने वाले को बख्शा नहीं जाना चाहिये। दरअसल, यह हमले सिर्फ पुलिस पर नहीं बल्कि देश के संविधान और व्यवस्था पर हमला है। ऐसे उपद्रवियों पर न सिर्फ सख्त कार्रवाई हो बल्कि उन पर रासुका भी लगाई जाए। सहारनपुर की घटना को चार दिन हो गए लेकिन, सभी आरोपियों की अरेस्टिंग नहीं हो सकी है। इन सभी की अरेस्टिंग करने के बाद इनके मुकदमे फास्ट ट्रैक कोर्ट में चलाए जाए जिससे दोषियों को जल्द से जल्द सजा मिल सके। ताकि ऐसी घटना को कारित करने वालों को इससे सबक मिले और ऐसी घटनाएं दोबारा न हों।