इन गानों में बन्नी और बन्ने के दिल में उमड़ती भावनाएं, बन्नी के श्रंगार, बन्नी और उसकी सास, नन्द, ससुर, देवर, जेठ और सइयां के Brideसाथ मजा़क और उन सभी रसमों को बहुत ही खूबसूरती से समझाया जाता है जो शादी के कई दिनों पहले से शुरू हो जाती हैं.

हर दिन, हर माहोल और हर रसम के अलग गाने. हर क्षेत्र और हर भाषा में इतने गाने होते हैं कि सबके बारे में बता पाना तो आसान नही है.

चलिए चलते हैं बन्नी के घर में और देखते हैं कि बन्नी आखिर क्यों परेशान है.

बन्नी की शादी की बात पक्की हो चुकी है, बस अब तो बन्नी को सपने में रोज़ हरियाला बन्ना ही दिखता है. बन्नी अपने बन्ने से मिलने के लिए बड़ी परेशान है और अपने बाबा से अपने बन्ने से मिलने जाने के बहाने पूछ रही है.

लाड़ो पूछे बाबा से बाबा, लाड़ो पूछे बाबा से बाबा मैं कौन बहाने जाऊं रंगीला आया बागों में

लाड़ो पूछे बाबा से बाबा, लाड़ो पूछे बाबा से बाबा मैं किस विध मिलने जाऊं रंगीला आया बागों में...

बन्नी बन्ने से मिलने तो जा नहीं पाई और बहुत दुखी हो गई. बन्नी की बेचैनी दिन पे दिन बढ़ती जा रही है. उदास बन्नी दरवाज़े पे खड़ी अपने बन्ने को याद कर रही है और हिचकी ले ले कर अपने बाबा से कह रही है कि बस उसकी जल्दी शादी करवा दें.

बन्नी खड़ी खड़ी हिचकी ले, बन्नी खड़ी खड़ी हिचकी ले

हमें तो बन्ना याद करें ससुराल घर जाना है...

बन्नी बाबा से अरज करें,  बन्नी ताऊ से अरज करें

हमें तो बन्ना याद करें ससुराल घर जाना है...

हमारा बन्ना भी कम बेचैन नहीं है ये तो हमें बन्नी की हिचकियों से पता चल ही गया है. पर अभी तो शादी में समय हैं. अरे! ये क्या अभी कुछ दिनों पहले तक तो बन्नी ससुराल जाने के लिए बहुत बेचैन थी पर अब जैसे ही शादी के दिन करीब आ रहे हैं हमारी बन्नी तो बड़ी शान्त हो गई है और ज़रा देखिए तो आजकल प्यारी बन्नी के चिन्ता का कारण क्या है.

Indian brideमेरी बन्नी का चेहरा उदास ना जाने बन्ना कैसा मिलेगा

ना जाने बन्ना गोरा मिलेगा, ना जाने घर अंधियार ना जाने बन्ना कैसा मिलेगा...

अच्छा तो ये बात है. परेशानी तो ठीक है पर देखो तो हमारी बन्नी की नयी ज़िद्द जब सारी तैयारियां हो गई हैं तो अड़ी है कि वो ससुराल नहीं जाएगी. 

मैं ससुराल नहीं जाउंगी डोली रख दो कहारो, साल दो साल नहीं जाउंगी डोली रख दो कहारो...

अरे बन्नी बड़ी चालाक है ऐसे तो बन्ने के बारे में पूछने में लजाती है तो ना जाना तो एक बहाना है बस मन में तो यही है कि जल्द से जल्द अपने ससुराल पहुंच जाएं.

अरे! बाते करते करते देखिए वो घड़ी आ गई जब बन्नी के घर वाले बन्ने के घर तिलक लेकर जा रहे है. आज पीली चिठ्ठी बन्ने के घर जाएगी. बन्नी अपने हाथों से सफेद कपड़े में हल्दी के थाप लगा के पीली चिठ्ठी के साथ और शगुन का सामान भेजेगी.

इसी के साथ शादी का इनविटेशन यानि शादी का कार्ड भी बन्ने के घर जाएगा. बस अब क्या है बन्नी को भी पीली चिठ्ठी का इंतज़ार है जिसमें उसके हल्दी उबटन की खबर आएगी.

तिलक के बाद आज का दिन छेही दरेती के लिए शुभ है.  आज सुहागिनों को बुलाया जाएगा और गा  बजा कर शादी की पूजा की शुरुआत हो जाएगी. सात सुहागिने गाते हुए चूल्हे के लिए मिट्टी लाऐंगी, सूप चलाऐंगी और बन्ने को उबटन छुआऐगीं, ऐसा ही बन्नी के घर भी होगा. आज से घर में वैवाहिक कार्यक्रम की शुरुआत हो जाएगी.

सभी लोग गणेश जी की वन्दना से शुरुआत करेंगे और फिर लड़के के घर बन्ना और लड़की के घर बन्नी अब शादी तक रोज़ गाए जाऐगें.

देखो तो कौन आया है, मामा मामी. मामा मामी का भी गा बजाकर स्वागत किया जाएगा, भात लेकर जो आए हैं. बन्नी के घर भांवर(फेरे) Haldiपड़ने से पहले और बन्ने के घर शादी से एक दिन पहले मंडप गढ़ने के बाद भात दिया जाएगा. मंडप एक दिन पहले मान्य यानि बुआ या बहन गाढ़ेंगीं. ज़रा सुनिए मंडप गढ़ने के बाद बन्नी का मामा अपनी बहन से क्या कह रहा है. बहना चल मंडप के बीच अनोखा भात पहनाउंगा.

इस समय भी गीत और मज़ाक चलेगें हैं और गालियां भी. अरे घबराइये नहीं गालियां भी एक तरह के फोक सॉन्ग्स होते हैं जिसमें मज़ाक और घर वालों की खिचाई होती है. मामा भी मज़ाक के मूड में लग रहे हैं और सुनिए तो अपनी जी जी से क्या कह रहे हैं.

बहना चल मंडप के बीच अनोखा भात पहनाउंगा, ससुर तेरे को साड़ी ब्लाउज शॉल उढ़ाउंगा

सास तेरी को सूट बूट और खूब नचाउंगा, बहना चल मंडप के बीच अनोखा भात पहनाउंगा...

शादी के माहौल में गाना, बजाना, डॉन्स तो होता ही है साथ ही हंसी मज़ाक शादी के रंग को और गहरा देते हैं. देखिए समय का तो पता ही नहीं चलता, देखते- देखते शादी का दिन भी आ गया. हमारा बन्ना तो एकदम राजकुमार लग रहा है. निकरौसी का समय आ गया. बारात निकलने को तैयार है और गीतों के साथ बन्ने को बन्नी के घर भेजा जा रहा है.

Bridegoom on ghoriरंगीली घोड़ियां दरवाजे पे सजती आई

सुनहरी घोड़ियां दरवाजे पे सजती आई

उनके बाबा लाएं सजा कर घोड़ी

उनके बाबा लाएं सजा कर घोड़ी

दादी रानी के प्यारे चलो करो मत देरी

समय अब हो गया ससुराल घर जाने का...

पहले लेडीज़ शादी में नहीं जाती थी और रातभर जाग के घर की रखवाली करती थी. रात में नींद ना आए इसीलिए नकटा गाती थी और नकटा या खोरिया करती थी. इसमें लेडीज़ मिलकर मज़ाक में शादी का नाटक करती हैं.  नकटा कभी भी गाये जा सकते हैं और इसमें खूब मज़ाक होता है. मज़ाक की तो कोई लिमिट ही नहीं होती कोई भी हो एक लाइन से सबकी खिंचाई होती है. सास ससुर भी इस खिंचाई से बच नहीं पाते हैं. इस नकटे में सास ससुर की खिंचाई चल रही है.

मेरी जीभ चटापट होए, मैं गरम जलेबी खाऊं

सासू को गिरवी रखूं, मैं गरम जलेबी खाऊं

अरे ससुर पे करू श्रंगार, मैं गरम जलेबी खाऊं...

उधर बन्नी अपने बन्ने का बेसबरी से इंतज़ार कर रही है. देखो कैसे बन्नी धीरे से मुस्कुराई बारात की आवाज़ जो आ रही है. बस अब द्वार चार के बाद बन्नी जयमाल के लिए जाएगी. इस समय तिलक करके मीठा खिला के दूल्हे का स्वागत गीतों के साथ किया जाएगा.

बनड़ै रो रोबीलो भाल,

सासू ले सुवरण रो थाल,

करै आरती तिलक तोरण द्वारै

भूवा बाई जी रतन मोहरां वारै...

पूजा के बाद जयमाल होता है. पहले के समय में तो जयमाल की प्रथा नहीं थी लेकिन आज के समय में ये शादी का इमपॉर्टेंट पार्ट है. दुल्हनJaimal की सहेलियां और बहने दुल्हन को जयमाल के लिए लाती है और उसके बाद दूल्हा दुल्हन एक दूसरे को वरमाला पहनाते है. यहां पर भी खूब मज़ाक और खींचातानी होती है.

जयमाल के बाद बारात खाना खाती है और इस समय ज्योनार गाए जाते हैं. दुल्हन के घर के सभी लोग बारात के खातिरदारी में परेशान होते हैं कि किसी को कोई भी तकलीफ ना हो. ये गीत बाखूबी उनकी इस भावना को दर्शाता है.

निहुरे निहुरे परसे जनक जी, धुतिया धूमिल हुई जाय कि रामा

निहुरे निहुरे परसे ताऊ जी, धुतिया धूमिल हुई जाय कि रामा...

खाने के बाद अब आती है कन्यादान की बारी. एक एक करके दुल्हन के घर के सभी लोग कन्यादान करते हैं. इस समय भी गानों में खूब मज़ाक चलता है. दोनों तरफ से गानों में गालियां भी खूब चलती हैं. 

अब मंडप की ओट लाड़ो ने केश सुखाएं

बाबा चतुरवर ढ़ूंढों, बाबा सुगढ़ वर ढ़ूंढों

अब दादी लेंगी कन्यादान, लाड़ो ने केश सुखाएं

कन्यादान के बाद फेरों के समय सात फेरे लिए जाते हैं और हर फेरे के साथ एक वचन. इस समय भी लेडीज़ गाने गाती रहती हैं.

Phereप्यरी सीता जू की परतीं भांदरें जू

पहली भांवर बेटी जब परी, बेटी अजहुं हमारी जू....सातई भांवर बेटी जब परी बेटी भई पराई जू

माय-बाबुल जुर मिल हरदी ल्याय जू

बेटी के हाथे पीरी करके धर दये सजन जू के हाथ जू

सातवां फेरा पड़ते ही लड़की पराई हो जाती है और फिर उसके हाथ पीले करने के बाद सिंदूरदान किया है. दूल्हा, दुल्हन की मांग में सिंदूर भरता है और शादी सम्पन्न हो जाती है.

शादी खत्म होते-होते सुबह होने लगती है. कई रिलिजन्स में तारों की छांव में विदाई होVidai जाती है और कई जगह सुबह बारात का नाशता होता है जिसे कलेवा कहते हैं जिसमें बारात के लिए रास्ते का खाना और गिफ्ट्स दिए जाते हैं. उसके बाद दुल्हन कि विदाई होती है और दुल्हन अपने बाबुल का आंगन सूना करके अपने पिया के साथ ससुराल चली जाती है.

आंगण सूनो कर चली ऐ बनी

चढ़ प्रीतम री पालकी ऐ बनी

बिलखैं थारी माय घणेरी ओल्यूं आवै जी...

Story: Surabhi Yadav