-छात्रों समेत अधिकवक्ता भी हैं मरीजों में शामिल

-संक्रमित इंजेक्शन से नशा करने पर एचआईवी की पुष्टि

-ओपियोड सबस्टियूशन थेरेपी सेंटर में पंजीकृत हैं 91 मरीज

HARIDWAR(JNN): अगर आप संक्रमित इंजेक्शन से नशा लेते हैं तो इसे छोड़ दीजिये। अन्यथा एड्स होना तय है। इंजेक्शन से लिया नशा एचआईवी पॉजिटिव का मर्ज बढ़ा रहा है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक जिले में बाइस मरीजों में एचआइवी की पुष्टि हुई है।

एनजीओ को सौंपी जिम्मेदारी

वर्ष ख्0क्ब् अक्टूबर में भारत सरकार की ओर से एड्स की रोकथाम के लिए मेला अस्पताल परिसर में ओपियोड सबस्टियूशन थेरेपी सेंटर ओएसटी खोला गया था। ओएसटी में एक मेडिकल ऑफिसर, एएनएम समेत काउंसलर की तैनाती की गई है। इसका उद्देश्य जिले में इंजेक्शन से नशा लेने वाले लोगों को चिन्हित कर उन्हें नशा छुड़वाने व घर जाकर दवा देना था। मरीजों को चिन्हित करने के लिए फ्रेंड्स एनजीओ को जिम्मेदारी सौंपी गई है। विगत आठ महीनों में एनजीओ के माध्यम से नशा करने वाले मरीज खोजे गए। जिसमें 9क् मरीजों ने ओएसटी में पंजीकरण कराया गया।

नशा छोड़ने को लेकर जागरुकता

इन मरीजों की खून की जांच जिला चिकित्सालय में की गई, जहां पाया कि 9क् में से ख्ख् लोग एचआईवी पॉजिटिव से ग्रस्त है। इनमें अधिकांश क्8 से ख्भ् वर्ष के बीच के हैं। ओएसटी के नोडल अधिकारी व जिला क्षय रोग अधिकारी डा। मनोज वर्मा ने बताया कि सभी मरीज संक्रमित इंजेक्शन के कारण एचआईवी पॉजिटिव की चपेट में आए हैं। इनमें युवाओं के अलावा निराश्रित भी हैं। हालांकि नशा छोड़ने को लेकर जागरुकता भी दिख रही है, जिसके चलते पेशेंट्स के परिजन उनका उपचार करा रहे हैं। पेशेंट्स को निरंतर घर जाकर दवा दी जाती है।

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क्या है एचआईवी

ह्यूमन इम्यिनो डेफीशिएंसी (वायरस एचआईवी) एक ऐसा वायरस है, जो कि केवल मानव शरीर में पाया जाता है। ये मनुष्य की प्रतिरोधक क्षमता को धीरे-धीरे कम करता है या फिर नष्ट कर देता है।

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क्या है एड्स

एक्वायर्ड इम्यूनो डेफिशिएंसी ¨सड्रोम एड्स एचआईवी की आखिरी अवस्था है। जब शरीर रोगों से लड़ने की अपनी ताकत खो बैठता है। यह वह अवस्था है, जिसमें मनुष्य में एचआईवी के साथ-साथ एक से अधिक बीामरियों के लक्षण दिखने लगते हैं।

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ऐसे इंजेक्शन से फैलता है एचआईवी

इंजेक्शन के इस्तेमाल के बाद उसके अगले हिस्से में संक्रमित व्यक्ति के रक्त का कुछ अंश रह जाता है। इसके पुन: इस्तेमाल करने से एचआईवी वायरस स्थानांतरित हो जाता है। इसी तरह सी¨रजों से किये जाने वाले नशे में इस्तेमाल की जाने वाली संक्रमित सुई के साझा प्रयोग से यह वायरस फैलता है।

बचाव का तरीका

-सुनिश्चित करे कि इस्तेमाल की जाने वाली सी¨रज नई व सील बंद हो

-सुनिश्चित कर लिया जाये कि प्रयोग की गई सी¨रज उचित तरीक से नष्ट कर दी गई हो

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बीमारियों से लड़ने के पांच नियम

-नियमित जीवन व व्यायाम

-साफ-सफाई, बीमारी से बचाव

-नशे की हर वस्तु से दूर रहना

-खानपान का विशेष ध्यान

-समय पर चिकित्सक से जांच