5,913 एचआईवी पीडि़त मरीज हैं चिन्हित 2,565 मरीज एआरटी सेंटर में हैं रजिस्टर्ड 2,348 एचआईवी पाजिटिव लोग नहीं पहुंच रहे दवा लेने सेंटर चिन्हित मरीजों की संख्या में से आधे नहीं पहुंच रहे दवा लेने, बाकी पर है विभाग की नजर गायब दो दर्जन मरीजों की लोकेशन सर्च करने में विभाग को छूट रहा पसीना allahabad@inext.co.in ALLAHABAD: एचआईवी- एड्स पीडि़त के प्रति लापरवाही दूसरों के लिए भी जानलेवा हो सकती है। फिर भी प्रत्येक मरीज को एआरटी सेंटर भेजने में स्वास्थ्य विभाग को पसीना छूट रहा है। जिले में चिन्हित एचआईवी पाजिटिव व्यक्तियों में से आधे लोग दवा ही नहीं ले रहे हैं। खुद के बचाव में विभाग का कहना है कि कुछ का सीडी फोर बेहतर है तो कुछ मरीज दूसरे शहर चले गए हैं। लेकिन उनका रिकार्ड मेंटेन है। पांच हजार से अधिक हैं मरीज जिले में एचआईवी के मरीजों की संख्या पांच हजार से अधिक है। इनमें से लगभग आधे एसआरएन हॉस्पिटल के एआरटी सेंटर में रजिस्टर्ड हैं, जो हर माह नियमित दवा ले रहे हैं। बाकी के आधे मरीज ऐसे हैं जो आज तक दवा लेने एआरटी सेंटर नहीं पहुंचे। जिम्मेदारों का कहना है कि वे सभी की मानीटरिंग कर रहे हैं। कुछ मरीज दूसरे शहरों में ट्रांसफर हो गए हैं तो कुछ दवा नहीं ले रहे। इतनी बड़ी संख्या में दवा नहीं ले रहे एचआईवी मरीजों अब विभाग के लिए चिंता का विषय बन गए हैं। हैरत की बात यह है कि जिले में 31 ऐसे मरीज हैं जिनकी जांच में एचआईवी की पुष्टि हुई, लेकिन उनकी लोकेशन नही मिल रही। वह कहां और किस हाल में हैं विभागीय लोगों को इस बात की कोई जानकारी नहीं है। इन 31 मरीजों की लोकेशन को सर्च करने में सभी को पसीने छूट रहे हैं। कैसे फैलता है एचआईवी - असुरक्षित यौन संबंध स्थापित करना बड़ा कारण है। - संक्रमित रक्त चढ़ाए जाने से। - संक्रमित इंजेक्शन का बार-बार इस्तेमाल किए जाने से। - एचआईवी संक्रमित मां से अजन्मे बच्चे में संक्रमण फैलने की संभावना तीस फीसदी होती है। - प्रसव व स्तनपान के दौरान संक्रमण का खतरा रहता है। यह हैं लक्षण - एक महीने से अधिक समय तक खांसी आना। - तीन महीने से अधिक समय तक जांघ या किसी अन्य जगह पर गाठ होना। - कम समय में शरीर का वजन तेजी से कम होना। - एक महीने से अधिक समय तक बुखार या दस्त होना। सभी मरीज हमारी मानीटरिंग में हैं। कुछ मरीजों की दवा दूसरे शहरों में चल रही है। केवल 31 ऐसे मरीज हैं जिनकी लोकेशन नही मिल रही है। इनकी तलाश लगातार की जा रही है। लोगों को जागरुक किया जा रहा है। डॉ। रोहित पांडेय, डीपीएम, जिला क्षय रोग अधिकारी कार्यालय