1986 में खोजा था एड्स का वायरस

मंगलवार रात तमिलनाडु के चेन्नई में प्रसिद्ध एचआईवी शोधकर्ता डॉ. सुनीति सोलोमन का निधन हो गया। ये वही सुनीति हैं जिन्होंने 1986 में भारत में पहली बार एचआईवी संक्रमण के मामले मिलने का खुलासा किया था। वे अपने शोधों द्वारा लगातार इस खतरनाक बीमारी से बचाने के तरीके खोजने के लिए संघर्ष करती रहीं। 76 साल की सुनीति लिवर कैंसर से पीड़ित थीं और पिछले दो महीने से इस बीमारी का इलाज करा रही थीं। डाक्टर सुनीति का एक बेटा डॉ. सुनील सोलोमन है जबकि उनके पति डॉ. सोलोमन विक्टर का 2006 में निधन हो गया था। भारत में एड्स के वायरस की खोज करने के बाद से ही उन्होंने इस खतरनाक विषाणु के इलाज पर होने वाले शोध का लगातार नेतृत्व किया। वह चेन्नई के वाईआर गायतोंडे सेंटर फॉर एड्स रिसर्च एंड रिसर्च की संस्थापक निदेशक भी थीं।

सेक्स वर्करों के रक्त के नमूनों में पाया एचआईवी

1986 में छह सेक्स वर्करों के रक्त के नमूने की जांच जब सुनीति और उनके सहयोगियों ने की तो उन्होंने रक्त के उन सैंपल्स को एचआईवी पाजिटिव पाया। जानकारी होते ही उन्होंने इस पर काम शुरू कर दिया और इसके बाद देश भर में एड्स संक्रमण के शोध और प्रशिक्षण पर अपना अभियान शुरू कर दिया। जब वे मद्रास मेडिकल कॉलेज एंड गवर्नमेंट जनरल हास्पिटल में मायक्रोबायोलॉजी की प्रोफेसर थीं, तब उन्होंने पहला स्वैच्छिक जांच और काउंसलिंग केंद्र तथा एड्स रिसर्च ग्रुप स्था्पित किया था।

उन्होंने एचआईवी महामारी विज्ञान, उसकी रोकथाम, देखभाल और उससे जुड़े मामलों पर कई प्रभावी शोध पत्र प्रकाशित करवाए। 2009 में विज्ञान एवं तकनीक मंत्रालय ने सुनीति को "नेशनल वीमेन बायो साइंटिस्ट अवार्ड" से सम्मानित किया। उन्हें 2012 में डॉ. एमजीआर विश्वविद्यालय ने एचआईवी/एड्स पर काम करने के लिए लाइफटाइम एचीवमेंट अवार्ड भी प्रदान किया था।

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