- होलिका दहन होते ही शहर में शुरू हुआ होली का हुड़दंग, रात करीब साढ़े आठ बजे जलाई गई होलिका

1ड्डह्मड्डठ्ठड्डह्यद्ब@द्बठ्ठद्ग3ह्ल.ष्श्र.द्बठ्ठ

ङ्कन्क्त्रन्हृन्स्ढ्ढ

एक बार फिर भगवान नारायण ने अपने भक्त प्रहलाद को बचाने के लिए होलिका को जलाने की माया रची। होलिका को पता था कि वह नहीं बचेगी इसके बावजूद वह अपने भतीजे भक्त प्रहलाद को लेकर चिता पर बैठी। शहर के तकरीबन हर गली मोहल्ले में चौराहों तिराहों पर होलिका सजायी गयी थी। ज्योतिषविदों ने होलिका दहन के लिए रविवार की रात आठ बजकर 27 मिनट का समय निर्धारित किया था और तय वक्त पर होलिका में आग लगते ही शुरू हो गया होली का हुड़दंग।

हर ईलाका हुआ गुलजार

होलिका दहन के बाद ही होली खेलने की परंपरा है। रात में होलिका दहन के बाद ही होली की रंगत दिखायी देने लगी। होली की खास गालियों और गीतों की बहार से शहर का कोना- कोना उल्लासित होता दिखा। सोमवार को लोगों की मस्ती अपने शबाब पर होगी। कॉलोनियों में तो होली की रंगत कुछ फीकी रही तो खांटी बनारसी मुहल्ले रात से ही होली की रंगीनियों से गुलजार होने लगे।

दूध में उबाल, खोआ भी उछला

त्योहारी खपत का नतीजा रहा कि दूध मंडियों में दूध के रेट्स में जोरदार इजाफा देखने को मिला। दूध 70 से 80 रुपये प्रति लीटर के भाव बिका। वहीं खोवे ने भी 350 रुपये किलो का आंकड़ा छुआ। होली के दिन घरों में कटहरी की डिमांड भी खासी रहती है। 30 से 35 रुपये प्रति किलो बिकने वाली कटहरी 60 रुपये प्रति किलो के रेट से बिकी।