क्रियायोग आश्रम में साधको ने मनाया होली पर्व

विदेशी साधकों ने भी भारतीय संस्कृति को किया आत्मसात

ALLAHABAD: होली की मस्ती और उल्लास का नजारा हर तरफ दिखाई दिया। ऐसे में विभिन्न आश्रमों साधकों और साधु संतों ने भी पर्व का खूब आनंद उठाया। क्रियायोग आश्रम एंव अनुसंधान संस्थान में भी होली का पर्व उल्लास के साथ मनाया गया। इस अवसर पर आश्रम में देश के साथ ही विदेशी साधकों ने भी भारती संस्कृति और परम्परा का जमकर लुत्फ उठाया।

आध्यात्मिक समृद्धि का पर्व

क्रियायोग आश्रम एवं अनुसंधान संस्थान निदेशक एवं क्रियायोग विशेषज्ञा ज्ञानमाता डॉ। राधा सत्यम ने सभी साधकों को गुलाल लगाकर होली की शुभकामनाएं दी। इस अवसर पर उन्होंने साधकों को संबोधित करते हुए कहा कि होली का पर्व आंतरिक एवं आध्यात्मिक समृद्धि का पर्व है। उन्होंने बताया कि होली में जहां मनुष्य आतंरिक साधना से जीवन के शारीरिक, मानसिक, बौद्धिक, आत्मिक धरातल पर आध्यात्मिक उर्जा से लबरेज हो उठता है, वहीं उसका वाह्य जीवन भी सामाजिक व प्राकृतिक सम्पदा से अभूतपूर्व रूप से समृद्ध हो उठता है।

परमात्मा के रंग में रंग जाएं

क्रियायोग आश्रम में होली पर आयोजित विशेष कार्यक्रम के दौरान ज्ञानमाता डॉ। राधा सत्यम ने कहा कि भारतीय परम्परा के अनुसार फागुन माह वर्ष का अंतिम माह होता है। जिसमें आध्यात्मिक अनुसंधान के मार्ग में जीवन के रहस्यों को जानने की जिज्ञासा रखने वाले साधक अपने अंतकरण में स्थित षट्चक्रों की साधना के अंतिम पड़ाव पर पहुंचकर जीवन के पीड़ादायी षट्रंगों काम, क्रोध, लोभ, मोह, मद व मत्सर रूपी सीमित व सांसारिक भावों को जीवन के आनंददायी रंगों दम, शम, तितिक्षा, उपरति, श्रद्धा एवं समाधान रूपी असीमित ईश्वरीय भावों में परिवर्तित कर अपने दिव्य अत:करण को इन्हीं षट्रंगों के दिव्यभावों की अनंत अनुभूतियों से सराबोर कर परमात्म रंग में रंग लेने में सफल हो जाता है। इस अवसर पर उन्होंने सभी साधको को होली की शुभकामनाएं दी।