- बेमौसम बारिश और गुलाबी सर्दी से रंगों की 50 फीसदी तक गिरी

- केमिकल कलर्स से होने वाले नुकसान के प्रति जागरूकता बढ़ने से भी मार्केट डाउन

- स्वाइन फ्लू का खौफ, एग्जाम के बीच होली पड़ने से पेरेंट्स भी बच्चों को नहीं दे रहे परमीशन

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KANPUR। मौसम की मार ने इस बार होली के रंग फीके कर दिए हैं। पिछले साल की अपेक्षा इस बार रंग मार्केट करीब भ्0 प्रतिशत तक डाउन है। वहीं पिचकारी मार्केट भी फ्0 प्रतिशत तक नीचे खिसक गई है। खोया मार्केट भी उछाल नहीं ले पा रहा है। मार्केट एक्सपर्ट के मुताबिक मौसम में बदलाव के चलते मार्केट गिरी है। वहीं स्वाइन फ्लू के डर ने भी लोगों को मार्केट से दूर रहने के लिए मजबूर कर दिया है।

रंग बना लेकिन सूख नहीं पाया

इस बार रंग की कीमतें भी पिछली बार की अपेक्षा फ्0 से ब्0 प्रतिशत तक बढ़ी हुई हैं। रंग रसायन उद्योग व्यापार मण्डल के वरिष्ठ उपाध्यक्ष शरद दीक्षित ने बताया कि रंगों में आई महंगाई की वजह से ही लोग रंगों की खरीदारी कम कर रहे हैं। वहीं फरवरी में धूप कम निकलने व बारिश होने से भी नुकसान हुआ है। रंग तैयार है लेकिन ठीक से सूख नहीं पाया है। जिससे प्रोडक्शन कम हुआ।

अबीर-गुलाल पर जोर

रंगों के त्योहार पर कानपुर में केमिकल कलर्स से ज्यादा बिक्री अबीर-गुलाल की होती है। व्यापार मंडल के कार्यकारिणी सदस्य अरुण गुप्ता ने बताया कि होली पर शहर में क्0-क्भ् टन तक रंग जबकि अबीर-गुलाल की बिक्री 70-80 टन तक होती है। केमिकल कलर्स से होने वाले नुकसान और स्किन इंफेक्शन को लेकर अवेयरनेस बढ़ने से भी रंगों की खरीदारी कम हुई है और अबीर-गुलाल की बिक्री बढ़ी है।

पब्लिक हो गई अवेयर

मार्केट में कई बिचौलिए डुप्लीकेट केमिकल वाले रंग तैयार करके सस्ते दामों में खपा देते हैं। जबकि मार्केट में उपलब्ध ओरिजनल रंग की कीमत तुलनात्मक रूप से थोड़ी ज्यादा होती है। क्योंकि इन्हें बनाने में अच्छी क्वालिटी के एसेंस का इस्तेमाल किया जाता है। पब्लिक भी अब रंगों में होने वाली मिलावट की वजह से सतर्क हो चुकी है। अबीर-गुलाल को खरीदना प्रेफर करते हैं।

खोया मार्केट की सुस्त चाल

पिछले साल की होली को देखते हुए इस बार खोया मार्केट भी बेहद सुस्त चाल चल रहा है। खोया व्यापारी नीलेश सिंह ने बताया कि खोया में मिलावट की खबरें ज्यादा आने के चलते लोग कम आ रहे हैं। खोया मार्केट बुरी तरह से डाउन है। लोग खोये की जगह अन्य मिठाइयों को पसंद कर रहे हैं। खोया की गुझिया बस शगुन के लिए ही बना ली जाती हैं।

पिचकारी मार्केट में सन्नाटा

ऐसा पहली बार देखने को मिल रहा है कि ऐन होली से पहले पिचकारी मार्केट में मंदी छाई हुई है। मेस्टन रोड में पिचकारी विक्रेता नदीम अशरफ ने बताया कि बेमौसम बारिश और गुलाबी सर्दी की वापसी पिचकारियों की बिक्री में गिरावट की अहम वजह बन गई है। पेरेंट्स भी अपने बच्चों की सेहत को लेकर काफी अलर्ट हैं। इसीलिए ज्यादातर ने अब अपने बच्चों को पानी वाली होली से दूर रखने का मन सा बना लिया है। क्योंकि पहले ही कई घरों में बच्चे सर्दी व बुखार से पीडि़त हैं। गुमटी नंबर-भ् की बाजार में पिचकारी विक्रेता अनिरुद्ध मिश्रा ने बताया कि करीब फ्0 परसेंट कम सेल हुई है।