-दो तिथियों की पूर्णिमा से होलिका दहन को लेकर संशय

- 22 और 23 मार्च दोनों तिथियों पर पड़ रही फाल्गुन पूर्णिमा

-कैलेंडर में 22 की तिथि दर्शाने से लोगों के सामने हैं भ्रम की स्थिति

manish.mishra@inext.co.in

PATNA (6 March):

होली कब है कब है होली? शोले फिल्म का यह डायलॉग अब हर आदमी की जुबान पर है। क्योंकि ग्रह-नक्षत्रों की उलझन में होली की तारीख स्पष्ट ही नहीं हो पा रही है। इस साल होली ख्फ् मार्च को होगी या फिर ख्ब् को, यह अभी तक स्पष्ट नहीं हो पाया है। कारण है होलिका दहन पर संशय की स्थिति । हर साल फाल्गुन शुक्ल पूर्णिमा के प्रदोष काल में होलिका दहन किया जाता है, लेकिन इस बार पूर्णिमा दो तिथियों में है, साथ ही पूर्णिमा पर भद्रा काल है। सरकारी कैलेंडर के मुताबिक देश में ख्ख् को होलिका दहन और ख्फ् को होली मनाई जाएगी जबकि ज्योतिष विद्वान के मुताबिक ख्ख् मार्च को पूर्णिमा त पर भद्रा काल में होलिका का दहन करना अनिष्टकारी है। ख्फ् मार्च को सूर्योदय से पूर्व जब पूर्णिमा से भद्रा काल हट रहा है तब होलिका दहन करना शुभ होगा। शास्त्रों के मुताबिक होलिका दहन के अगले दिन होली मनाने का प्रावधान है यानी होली ख्ब् मार्च को मनाना कल्याणकारी होगा। चौंकाने वाली बात यह है कि इस साल दो तिथियों के बावजूद पूर्णिमा पर शुभकारी प्रदोष काल नहीं बन रहा है।

-भ्रदा में होलिका से समाज की क्षति

जय मां वैष्णो देवी ज्योतिष तंत्र एवं अनुसंधान केंद्र के तंत्राचार्य आचार्य योगेश पांडेय का मत है कि भद्रा में होलिका दहन करने से क्षेत्र व समाज की क्षति होती है। इसलिए शास्त्रों में इसे पूर्ण रूप से वर्जित किया गया है। इस साल ख्ख् मार्च को पूर्णिमा पर भद्रा काल लगा हुआ है जो कि ख्फ् की भोर में हटेगा। होलिका दहन का शुभ समय यही है। शास्त्रों के मुताबिक होलिका दहन के अगले दिन आग ठंडी होने के बाद उसकी राख से पहली होली खेली जानी चाहिए। यानी इस साल ख्ब् मार्च को होली खेली जानी चाहिए।

-बुधवार को बन रहा शुभ संयोग

ज्योतिष आचार्य मनोज मिश्रा का मत है कि फाल्गुन पूर्णिमा ख्ख् और ख्फ् मार्च को दो तिथियों में पड़ रही है। ख्ख् मार्च मंगलवार को पूर्णिमा दोपहर ख्.फ्ख् पर लग रही है जो ख्फ् मार्च बुधवार की शाम ब्.क्ख् तक है। मंगलवार दोपहर ख्.फ्क् पर भद्रा काल लग जा रहा है जो बुधवार की भोर में फ्.ख्ख् तक है। इसलिए इस समय में होलिका दहन नहीं किया जा सकता है। ख्फ् मार्च बुधवार की भोर में फ्.ख्ख् बजे के बाद होलिका दहन को शुभ और मंगलकारी समय बताया है। ज्योतिषाचार्यो के मुताबिक काशी को छोड़कर सर्वत्र होली ख्ब् मार्च को मनाई जानी चाहिए।

- केवल काशी में ख्फ् को होगी होली

आयार्च योगेश पांडेय के मुताबिक शास्त्रों में काशी को होली के लिए अलग स्थान दिया गया है। यहां जिस दिन होलिका दहन होता है, उसी दिन होली खेले जाने का प्रावधान है। यानी काशी में होलिका दहन और होली दोनों ख्फ् मार्च को ही होगी।